हैप्पीनेस करिकुलम क्या है? दिल्ली के सरकारी स्कूल पहुंचीं मेलानिया ट्रम्प


अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रम्प दक्षिण दिल्ली स्थित नानकपुरा स्कूल पहुंचीं जहां उन्होंने हैप्पीनेस क्लास का जायजा लिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पत्नी मेलानिया ट्रम्प ने 25 फरवरी 2020 को दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का दौरा किया. वे दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में चलाये जा रहे ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ को जानने के लिए इस स्कूल में आईं थीं.

अमेरिका की प्रथम महिला दक्षिण दिल्ली स्थित नानकपुरा स्कूल पहुंचीं जहां उनका माथे पर टीका लगाकर स्वागत किया गया. इसके बाद उन्होंने स्कूल की हैप्पीनेस क्लास में शिरकत की. यह दिल्ली सरकार द्वारा आरंभ किया गया एक विशेष पाठ्यक्रम है जिसमें बच्चों को रूटीन शिक्षा के अलावा दिलचस्प तरीके से शिक्षा प्रदान की जाती है.
क्या है हैप्पीनेस क्लास?👇🇮🇳
यह दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में लागू किया गया विशेष कार्यक्रम है जिसके तहत नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों को रोजाना पहला पीरियड यानी 40 मिनट में हैप्पीनेस पर ध्यान दिया जाता है. हैप्पीनेस करिकुलम के तहत बच्चों को मेडिटेशन कराया जाता है, ज्ञानवर्धक और नैतिकता संबंधित कहानियां सुनाई जाती हैं. उन्हें गेम्स खिलाये जाते हैं या एनी ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाती है.
हैप्पीनेस क्लास का उद्देश्य बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना है. इस क्लास की शुरुआत पांच मिनट के मेडिटेशन से होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की क्लास से बच्चों का स्कूल की ओर रुझान बढ़ता है साथ ही उनमें गुस्सा, द्वेष और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावनाओं से बचाया जा सकता है.
हैप्पीनेस क्लास में मेलानिया ट्रम्प👇🇮🇳

मेलानिया ट्रम्प ने अपने इस दौरे में हैप्पीनेस क्लास के प्रति विशेष रुचि दिखाई थी. उन्होंने इस क्लास में भाग लेने के बाद कहा कि हैप्पीनेस क्लास में पाठ्यक्रम बहुत रुचिकर है और ऐसे कार्यक्रम दुनिया के प्रेरणा बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि यहां के लोग बहुत मिलनसार और दयालू हैं तथा उन्हें दिल्ली के इस स्कूल में आकर ख़ुशी मिली है. इस दौरान उन्होंने बच्चों से बातें भी कीं और पाठ्यक्रम का जायजा भी लिया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट करके अपनी ख़ुशी जाहिर की उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि मेलानिया ट्रम्प सरकारी स्कूल में गईं. भारत ने विश्व को अध्यात्म की शिक्षा दी है. मेलानिया ट्रम्प यहां से ख़ुशी का सन्देश लेकर जायेंगी.

भारत-अमेरिका के मध्य 3 बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर


भारत और अमेरिका के मध्य तीन बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. इस समझौते पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हस्ताक्षर किये. 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 फरवरी 2020 को एक बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किये. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों देशों ने लगभग 3 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं. यह समझौता दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद किया गया.

इसके बाद दोनों नेताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध कड़ी करवाई की प्रतिबद्धता को दोहराया. राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत-अमेरिका के रिश्तों की मजबूती का जिक्र किया. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि वे भारत के इस दौरे को हमेशा याद रखेंगे तथा उन्होंने भारतीयों द्वारा किये गये शानदार स्वागत के लिए सभी को धन्यवाद भी कहा.

भारत-अमेरिका रक्षा सौदा👇🇮🇳
भारत और अमेरिका के मध्य तीन बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. इस समझौते पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हस्ताक्षर किये. इस समझौते में अमेरिका के 23 एमएच 60 रोमियो हेलिकॉप्टर और छह एएच 64ई अपाचे हेलिकॉप्टर की खरीद शामिल है. द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी किये गये संयुक्त बयान में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस सौदे से दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध पहले से अधिक मजबूत हो सकेंगे. गौरतलब है कि यह दोनों हेलिकॉप्टर किसी भी प्रकार के मौसम में तथा दिन या रात में से कभी भी हमला करने में सक्षम हैं. चौथी पीढ़ी वाला अपाचे हेलिकॉप्टर छिपी हुई पनडुब्बियों को निशाना बना सकता है.

डोनाल्ड ट्रम्प ने क्या कहा?👇🇮🇳
द्विपक्षीय वार्ता के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और अमेरिका के मध्य ड्रग तस्करी, नार्को-आतंकवाद और संगठितत अपराध जैसी गंभीर समस्याओं के बारे में एक नए मेकैनिज्म पर भी सहमति हुई है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आतंक के खिलाफ अपने प्रयासों को और बढ़ाने का निश्चय किया है. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर सहमत हैं.
द्विपक्षीय वार्ता के बाद संयुक्त संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के मध्य विशेष संबंध का सबसे महत्वपूर्ण आधार लोगों से संपर्क करने वाले लोग हैं. इनमें पेशेवर लोग, छात्रों, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय प्रवासी का महत्वपूर्ण योगदान है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमारे वाणिज्य मंत्रियों ने व्यापार पर सकारात्मक बातचीत की है. हम दोनों ने फैसला किया है कि हमारी टीमों को इन व्यापार वार्ता को कानूनी रूप देना चाहिए. हम एक बड़े व्यापार सौदे पर बातचीत आरंभ करने के लिए भी सहमत हुए हैं.

कैथरीन जॉनसन, प्रसिद्ध नासा गणितज्ञ, का 101 वर्ष की उम्र में निधन


कैथरीन जॉनसन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के उस कंप्यूटर पूल का एक प्रमुख भाग थीं जिन्होंने अपोलो मिशन के माध्यम से मनुष्य को चाँद तक पहुंचाया.


नासा की प्रसिद्ध गणितज्ञ कैथरीन जॉनसन का हाल ही में निधन हो गया. वे 101 वर्ष की थीं. कैथरीन को नासा के मानव मिशन की गणनाओं के लिए जाना जाता है. कैथरीन ने नासा के शुरुआती मानव मिशन के लिए गणनाएं की थीं जिससे नासा के अभियानों को आसानी से पूरा किया जा सका.

कैथरीन जॉनसन के बारे में जानकारी👇🇮🇳

कैथरीन जॉनसन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के कंप्यूटर पूल का एक प्रमुख भाग थीं. इस पूल को गणितज्ञों के एक समूह के रूप में जाना जाता था. नासा का यह कंप्यूटर पूल प्रत्येक अभियान के लिए डेटा जारी करता है तथा गणनाओं के आधार पर मिशन की रूपरेखा तैयार करता है. नासा ने इसी कंप्यूटर पूल की मदद से अपने पहले मानव अंतरिक्ष अभियान को सफल बनाया था. कैथरीन जॉनसन इसी पहले मानव मिशन के कंप्यूटर पूल का हिस्सा थीं. कैथरीन ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी.
उनका जन्म 1918 में वेस्ट वर्जीनिया में हुआ था, उन्हें बचपन से ही गणित में विशेष रुचि थी. नासा द्वारा प्रकाशित कैथरीन के बायोडेटा के अनुसार, वह वेस्ट वर्जीनिया की उन प्रतिभाशाली अश्वेत छात्रों में से थीं जिन्हें गणित और विज्ञान के लिए सबसे पहले शुरु की गई स्कॉलरशिप के लिए चुना गया था. उनहोंने 1969 में अपोलो-13 के चंद्रमा पर उतरने से पहले और अंतरिक्ष यात्रियों को वापस पृथ्वी पर लाने में अपनी गणनाओं से मदद की थी.
कैथरीन के जीवन पर वर्ष 2016 में हॉलीवुड फिल्म ‘द हिडन फिगर्स’ बनाई गई थी. यह फिल्म मॉर्गन ली शेट्टरली की किताब पर ‘हिडन फिगर्स’ पर आधारित थी. फिल्म में ताराजी पी हेंसन द्वारा कैथरीन की भूमिका निभाई गई थी. फिल्म को जनवरी 2017 में स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड मिला था. इस फिल्म को प्रतिष्ठित ऑस्कर की तीन श्रेणियों में भी नामांकित किया गया था. हालांकि, फिल्म ऑस्कर नहीं जीत पाई थी.

वर्ष 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा उन्हें ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ़ फ्रीडम’ से सम्मानित किया गया. ओबामा ने कहा था कि केथरीन ने समाज के दबाव को दरकिनार करते हुए स्वयं को किसी सीमा में बांधे रखने से इनकार किया और मानवता को नई ऊँचाईयों तक पहुंचाने में मदद की है. इसके अतिरिक्त नासा ने 2017 में उनके सम्मान में 'Katherine G. Johnson Computational Research Facility' के नाम से एक बिल्डिंग उन्हें समर्पित की

सेंट्रल एक्साइज दिवस 2020: जानिए इस दिवस का महत्व और पृष्ठभूमि



हर साल 24 फरवरी को, केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (CBCE) पूरे देश में केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस मनाता है. इस दिवस का उद्देश्य केंद्रीय उत्पाद और कस्टम बोर्ड ऑफ इंडिया का अर्थव्यवस्था में योगदान का सम्मान करना है. इसके अतिरिक्त, केंद्रीय उत्पाद शुल्क बोर्ड, केंद्र सरकार के लिए एक प्राथमिक कर संग्रह एजेंसी होने के नाते, इस दिवस को अधिकारियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत को सम्मानित करने के उद्देश्य से भी मनाता है.

इसके अलावा यह दिवस माल निर्माण व्यवसाय में भ्रष्टाचार की जाँच करने के लिए भी मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य देशवासियों को केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड के महत्व को बताना भी है.

इस अवसर पर केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड देश भर में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है, जिसमें सेमिनार, कार्यशालाएं, शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, जागरूकता कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं और पुरस्कार समारोह शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, बोर्ड आम जनता को CBCE और उसके अधिकारियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझने में मदद करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी आयोजित करता है.

पृष्ठभूमि

प्रत्येक वर्ष केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस को 24 फरवरी 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम बनाए जाने के की याद के तौर पर भी मनाया जाता है.
सीबीसीई सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के संग्रह और इससे संबंधित नीति निर्माण का भाग है.

इसके दायरे में सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मादक पदार्थों से संबंधित तस्करी आदि से संबंधित मामले भी आते हैं.

बोर्ड अपने अधीनस्थ संगठनों के लिए प्रशासनिक प्राधिकरण है, जिसमें कस्टम हाउस, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर आयुक्त और केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला शामिल हैं.

Donald Trump India Visit: डोनाल्ड ट्रम्प ने 'नमस्ते ट्रम्प' में भाग लिया, अब आगरा पहुंचे



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पहली भारत यात्रा पर 24 फरवरी 2020 को अहमदाबाद, गुजरात पहुंचे. ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप, बेटी इवांका ट्रंप और वरिष्ठ सलाहाकार जेरेड कुशनेर भी आये हैं. डोनाल्ड ट्रम्प अपनी इस यात्रा के दौरान ट्रंप अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम भी गये.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रोड शो में भी भाग लिया तथा दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम 'मोटेरा' तक गये. भारत द्वारा ट्रम्प के लिए मोटेरा स्टेडियम में 'नमस्ते ट्रंप' नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां उन्होंने लगभग एक लाख लोगों को संबोधित किया.

ट्रम्प का हिंदी में ट्वीट

डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भारत आगमन से कुछ ही समय पूर्व हिंदी में एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, “हम भारत आने के लिए तत्पर हैं. हम रास्ते में हैँ, कुछ ही घंटों में हम सबसे मिलेंगे!” इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, “अतिथि देवो भव:”.


डोनाल्ड ट्रम्प ने नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में कहा कि भारत और अमेरिका कट्टरवाद के खिलाफ साथ हैं. भारत और अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के लिए साथ रहे रहेंगे और लड़ेंगे. देश के लिए जो खतरा है उसका हल मिलकर निकालेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों ने वहां के विकास में बड़ा रोल निभाया है. कहा कि अमेरिका में रहने वाले कई बिजनेसमैन गुजरात से आते हैं, ऐसे में अमेरिका के विकास में अहम भूमिका निभाने के लिए हम सभी का शुक्रिया करते हैं.
डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भारत में ‘नमस्ते ट्रम्प’ नाम से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम उसी तर्ज पर आयोजित किया गया था जैसे अमेरिका में मोदी के आगमन पर ‘हाउडी मोदी’ का आयोजन किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में एक लाख से अधिक लोगों ने ‘नमस्ते ट्रम्प’ में भाग लिया.

‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की जनता को संबोधित किया. मंच पर उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे. इसके बाद ट्रम्प आगरा चले गये और अपने परिवार के साथ लगभग 45 मिनट के लिए ताजमहल का दीदार किया. इसके बाद वे दिल्ली आयेंगे.

मोदी और ट्रम्प के बीच 25 फरवरी 2020 को द्विपक्षीय वार्ता होगी. डोनाल्ड ट्रम्प इस यात्रा के दौरान किसी व्यापारिक समझौते से इनकार कर चुके हैं लेकिन इस वार्ता में किसी बड़ी घोषणा के भी कयास लगाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2018-2019 में भारत और अमेरिका के मध्य होने वाला कारोबार चीन-अमेरिका के व्यापार की तुलना में करीब एक अरब ज्यादा रहा है.

घोंघे की नई प्रजाति का नाम ग्रेटा थनबर्ग के नाम पर रखा गया


वैज्ञानिकों ने हाल ही में घोंघे की एक नई प्रजाति की खोज की है. यह प्रजाति तापमान-संवेदनशील प्रजातियों के परिवार का हिस्सा है. इसे क्रैसेपोट्रोपिस ग्रेथथुनबेर्गे (Craspedotropis gretathunbergae) नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों ने यह नाम पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के सम्मान में दिया है. जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता फैलाने में ग्रेटा के प्रयासों के लिए वैज्ञानिकों ने यह निर्णय लिया.

पत्रिका 'बायोडायवर्सिटी डेटा' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि घोंघे की यह प्रजाति कैनेओगैस्ट्रोपोडा (Caenogastropoda) समूह की है. यह प्रजाति भूमि पर रहती है और सूखे, अत्यधिक तापमान में उतार-चढ़ाव और वनों की कटाई से प्रभावित हो सकती है. नीदरलैंड्स में नेचुरल बायोडायवर्सिटी सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक घोंघे की नई प्रजाति ब्रुनेई में कुआला बेलांग फील्ड स्टडी सेंटर के करीब पाई गई.

उद्देश्य

जैव विविधता डेटा जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने इस बात पर सर्वसम्मति से वोट किया कि प्रजातियों का नाम किसे दिया जाए. प्रतिभागी शोध और नेशनल पार्क के कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि इसका नाम ग्रेटा के नाम पर रखा जाना चाहिए और अंत में इसका नाम क्रैसेपोट्रोपिस ग्रेथथुनबेर्गे रखा गया.

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छत्रपति शिवाजी महाराज: जीवनी, इतिहास और प्रशासन



छत्रपति शिवाजी महाराज निर्विवाद रूप से भारत के सबसे महान राजाओं में से एक हैं. उनकी युद्ध प्रणालियाँ आज भी आधुनिक युग में अपनायीं जातीं हैं. उन्होंने अकेले दम पर मुग़ल सल्तनत को चुनौती दी थी.

शिवाजी के बारे में तथ्यात्मक जानकारी (Factual Information about the Shivaji)

नाम: शिवाजी भोंसले

जन्म तिथि: 19 फरवरी, 1630 या अप्रैल 1627

जन्मस्थान: शिवनेरी किला, पुणे जिला, महाराष्ट्र

पिता: शाहजी भोंसले  

माता: जीजाबाई

शिवाजी महाराज, शाहजी भोंसले और जीजा बाई के पुत्र थे. उन्हें पूना में उनकी माँ और काबिल ब्राहमण दादाजी कोंडा-देव की देखरेख में पाला गया जिन्होंने उन्हें एक विशेषज्ञ सैनिक और एक कुशल प्रशासक बनाया था. 
शिवाजी महाराज, गुरु रामदास से धार्मिक रूप से प्रभावित थे, जिन्होंने उन्हें अपनी मातृभूमि पर गर्व करना सिखाया था.

17वीं शताब्दी की शुरुआत में नए योद्धा वर्ग मराठों का उदय हुआ, जब पूना जिले के भोंसले परिवार को सैन्य के साथ-साथ अहमदनगर साम्राज्य का राजनीतिक लाभ मिला था. भोंसले ने अपनी सेनाओं में बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों की भर्ती की थी जिसके कारण उनकी सेना में बहुत अच्छे लड़ाके सैनिक हो गये थे.
टोरणा की विजय ने शिवाजी को रायगढ़ और प्रतापगढ़ फतह करने के लिए प्रेरित किया और इन विजयों के कारण बीजापुर के सुल्तान को चिंता हो रही थी कि अगला नंबर उसके किले का हो सकता है और उसने शिवाजी के पिता शाहजी को जेल में डाल दिया था.

पानीपत की लड़ाई किसके बीच और कब हुई?

ईस्वी 1659 में, शिवाजी ने बीजापुर पर हमला करने की कोशिश की, फिर बीजापुर के सुल्तान ने अपने सेनापति अफजल खान को 20 हजार सैनिकों के साथ शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा, लेकिन शिवाजी ने चतुराई से अफजल खान की सेना को पहाड़ों में फंसा लिया और बागनाख या बाघ के पंजे नामक घातक हथियार से अफजल खान की हत्या कर दी थी. 
अंत में, 1662 में, बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के साथ एक शांति संधि की और उन्हें अपने विजित प्रदेशों का एक स्वतंत्र शासक बना दिया.

कोंडाना किले की विजय (Conquest of Kondana fort): यह किला नीलकंठ राव के नियंत्रण में था. इसको जीतने के लिए मराठा शासक शिवाजी के कमांडर तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के किला रक्षक उदयभान राठौड़ के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में तानाजी मालुसरे की मौत हो गयी थी लेकिन यह मराठा यह किला जीतने में कामयाब रहे थे. इन्ही तानाजी मालसुरे के ऊपर एक फिल्म बनी है जो कि सुपरहिट हुई है.
शिवाजी का राज्याभिषेक: 1674 ई. में, शिवाजी ने खुद को मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया और उन्हें रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी के रूप में ताज पहनाया गया था. उनका राज्याभिषेक मुगल सल्तनत के लिए चुनौती बन गया था.
राज्याभिषेक के बाद, उन्हें हैडवा धर्मोधरका ’(हिंदू धर्म के रक्षक) का खिताब मिला था. यह ताजपोशी लोगों को भू-राजस्व इकट्ठा करने और कर लगाने का वैध अधिकार देती है.

शिवाजी का प्रशासन (Shivaji’s Administration)
शिवाजी का प्रशासन काफी हद तक डेक्कन प्रशासनिक प्रथाओं से प्रभावित था. उन्होंने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें 'अस्तप्रधान' कहा गया था, जो उन्हें प्रशासनिक मामलों में सहायता प्रदान करते थे.उनके शासन में अन्य पद थे;

1. पेशवा: सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देखभाल करते थे.
2. सेनापति: ये मराठा प्रमुखों में से एक थे. यह काफी सम्मानीय पद था. 
4. सुरनवीस या चिटनिस (Surnavis or chitnis): अपने पत्राचार से राजा की सहायता करते थे.
5. दबीर (Dabir): समारोहों के व्यवस्थापक थे और विदेशी मामलों से निपटने में राजा की मदद करते थे.

6. न्यायधीश और पंडितराव: न्याय और धार्मिक अनुदान के प्रभारी थे.

महाशिवरात्रि 2020: भगवान शिव से जुड़े 15 प्रतीक और उनका महत्व


हर त्योहारों का अपना ही महत्व होता है, इसी प्रकार महाशिवरात्रि का भी अपना ही एक महत्व है। एसी मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भक्त सच्चे मन से शिव जी की अराधना करते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर दूध, जल और बेल पत्र चढ़ाकर शिव शंकर की पूजा करते हैं।
भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है। यह इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान शिव गले में नाग, हाथ में त्रिशूल, सिर पर गंगा, शेर की खाल क्यों पहनते हैं, इन सबके पीछे कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है| आइए जानते हैं कि ये कहानियां क्या हैं और क्यों ये सब भगवान शिव के प्रतीक या आभूषण हैं|

हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव हुआ हैं। यू कहे तो भगवान शिव दुनिया के सभी धर्मों का मूल हैं और तो और हिन्दू धर्म में भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है। यह इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| भगवान शिव अजन्मे माने जानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि उनका न तो कोई आरम्भ हुआ है और न ही अंत होगा। इसीलिए वे अवतार न होकर साक्षात ईश्वर हैं। क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान शिव गले में नाग, हाथ में त्रिशूल, सिर पर गंगा, शेर की खाल क्यों पहनते हैं, इन सबके पीछे कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है| 
1. गले में सर्प 


भगवान शिव अपने गले में सर्प धारण करते हैं| यह सर्प उनके गले में तीन बार लिपटे रहता है जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य का सूचक है| सर्पों को भगवान शंकर के अधीन होना यही संकेत है कि भगवान शंकर तमोगुण, दोष, विकारों के नियंत्रक व संहारक हैं, जो कलह का कारण ही नहीं बल्कि जीवन के लिये घातक भी होते हैं। इसलिए उन्हें कालों का काल भी कहा जाता है| सर्प को कुंडलिनी शक्ति भी कहा गया है जोकि एक निष्क्रिय ऊर्जा है और हर एक के भीतर होती है|


भगवान शिव अपने हाथ में त्रिशूल धारण करते हैं| शिव का त्रिशूल मानव शरीर में मौजूद तीन मूलभूत नाड़ियों बायीं, दाहिनी और मध्य का सूचक है| इसके अलावा त्रिशूल इच्छा, लड़ाई और ज्ञान का भी प्रतिनिधित्व करता है| ऐसा कहा जाता है कि इन नाड़ियों से होकर ही उर्जा की गति निर्धारित होती है और गुजरती है|
4. अर्धचन्द्र
भगवान शिव अर्धचन्द्र को आभूषण की तरह अपनी जटा के एक हिस्से में धारण करते है। इसलिए उन्हें “चंद्रशेखर” या “सोम” कहा गया है| वास्तव में अर्धचन्द्र अपने पांचवें दिन के चरण में चंद्रमा बनता है और समय के चक्र के निर्माण में शुरू से अंत तक विकसित रहने का प्रतीक है। भगवान शिव के सिर पर चन्द्र का होना समय को नियंत्रण करने का प्रतीक है क्योंकि चन्द्र समय को बताने का एक माध्यम है|
उनके उलझे हुए बाल पवन या वायु का प्रवाह, जो सभी जीवित प्राणियों में मौजूद सांस का सूक्ष्म रूप है, का प्रतिनिधित्व करता है। इससे पता चलता है कि शिव पशुपतिनाथ, सभी जीवित प्राणियों के प्रभु हैं।

6. नीला गला या कंठ


शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है| समुद्र मंथन के दौरान जो जहर आया था उसको उन्होंने निगल लिया था| देवी पार्वती इस जहर को उनके गले में ही रोक दिया था और इस प्रकार यह नीले रंग में बदल गया। तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा|


भगवान शिव अपने गले में रूद्राक्ष की माला पहनते है जोकि रूद्राक्ष पेड़ के 108 बीजों से मिलकर बनी है| 'रूद्राक्ष' शब्द, 'रूद्र' (जो शिव का दूसरा नाम है) और 'अक्श' (अर्थात आँसू) से बना है। इसके पीछे कहानी यह है कि जब भगवान शिव ने गहरे ध्यान के बाद अपनी आँखें खोली, तो उनकी आँख से आंसू की बूंद पृथ्वी पर गिर गयी और पवित्र रूद्राक्ष के पेड़ में बदल गया। रूद्राक्ष के मोती दुनिया के निर्माण में इस्तेमाल हुए तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं| यह भी सच है कि भगवान शिव अपने ब्रह्मांडीय कानूनों के बारे में दृढ रहते है और सख्ती से ब्रह्मांड में कानून और व्यवस्था बनाए रखते है।

नाथ सम्प्रदाय की उत्पति, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न धर्मगुरूओं का विवरण

यह एक छोटे से आकार का ड्रम है जोकि भगवान शिव के हाथ में रहता है और इसीलिए भगवान शिव को “डमरू-हस्त” कहा जाता है| डमरू के दो अलग-अलग भाग एक पतले गले जैसी संरचना से जुड़े होते हैं| डमरू के अलग-अलग भाग अस्तित्व की दो भिन्न परिस्थिति “अव्यक्त” और “प्रकट” का प्रतिनिधित्व करता है| जब डमरू हिलता है तो इससे ब्रह्मांडीय ध्वनि “नाद” उत्पन्न होता है जो गहरे ध्यान के दौरान सुना जा सकता है| हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, “नाद” सृजन का स्रोत है। डमरू भगवान शिव के प्रसिद्ध नृत्य “नटराज” का अभिन्न भाग है, जो शिव की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।

9. कमंडल

पानी का बर्तन (कमंडल) अक्सर भगवान से सटे हुए दिखाया जाता है| ऐसा कहा गया है कि यह एक सूखे कद्दू और अमृत से बना हुआ है। कमंडल को भारतीय योगियों और संतों की बुनियादी जरूरत की एक प्रमुख वस्तु के रूप में दिखाया जाता है। इसका एक गहरा महत्व है। जिस प्रकार से पके हुए कद्दू को पेड़ से तोड़ने के बाद उसके छिलके को हटाकर शरबत के लिए प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को भौतिक दुनिया से अपने लगाव को समाप्त कर अपने भीतर की अहंकारी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए ताकि वह स्वयं के आनंद का अनुभव करने कर सके| अतः कमंडल अमृत का प्रतीक है|
भगवान के माथे पर राख की तीन लाइन विभूति के रूप में जानी जाती है। यह भगवान और उसके प्रकट होने की महिमा की अमरता का प्रतीक है।
दो कान के छल्ले, जिन्हें “अलक्ष्य” (जिसका अर्थ है "जो किसी भी माध्यम के द्वारा दिखाया नहीं जा सकता") और निरंजन (जिसका अर्थ है 'जो नश्वर आंखों से नहीं देखा जा सकता है"), भगवान द्वारा पहनें गए है| प्रभु के कानों में सुशोभित गहने दर्शाते हैं कि भगवान शिव साधारण धारणा से परे है। उल्लेखनीय है कि प्रभु के बाएं कान का कुंडल महिला स्वरूप द्वारा इस्तेमाल किया गया है और उनके दाएं कान का कुंडल पुरूष स्वरूप द्वारा इस्तेमाल किया गया है। दोनों कानों में विभूषित कुंडल शिव और शक्ति (पुरुष और महिला) के रूप में सृष्टि के सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि बाघ शक्ति और सत्ता का प्रतीक है तथा शक्ति की देवी का वाहन है। भगवान शिव अक्सर इस पर बैठते हैं या इस खाल को पहनते है, जोकि यह दर्शाता है कि वह शक्ति के मालिक हैं और सभी शक्तियों से ऊपर हैं| बाघ ऊर्जा का भी प्रतिनिधित्व करता है| वह इस ऊर्जा का उपयोग कर इस अंतहीन सांसारिक चक्र में ब्रह्मांड परियोजना सक्रिय से चलाते है।
गंगा नदी (या गंगा) हिन्दूओं के लिए सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा नदी का स्रोत शिव है और उनकी जटाओं से बहती है। भगवान पृथ्वी पर और इंसान के लिए शुद्ध पानी लाने के लिए गंगा को अपनी जटाओं में धारण करते है। इसलिए, भगवान शिव अक्सर गंगाधर या " गंगा नदी के वाहक" के रूप में जाने जाते है। गंगा नदी रूद्र के रचनात्मक पहलुओं को दर्शाती है। भगवान शिव द्वारा गंगा को धारण करना यह भी इंगित करता है कि शिव न केवल विनाश के भगवान है लेकिन वह ज्ञान, पवित्रता और भक्तों को शांति भी प्रदान करते है।

14. शिव लिंग
उम्मीद है कि इस लेख से भगवान शिव और उनके प्रतीकों के बारे में ज्ञात हुआ होगा।

महंत नृत्य गोपाल दास बने राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बने ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ की 19 फरवरी 2020 को पहली बैठक हुई है. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. महंत नृत्य गोपाल दास को राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया. वहीं, विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के उपाध्यक्ष चंपत राय को महासचिव बनाया गया.

नृपेंद्र मिश्रा को भवन निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. ट्रस्ट की हुई पहली बैठक में 9 प्रस्ताव भी पारित किए गए. गोविंद गिरी को मंदिर ट्रस्ट का कोषाध्यक्ष बनाया गया है. ये बैठक रामलला के वकील रहे केशवन अय्यंगर परासरण के दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित घर में हुई. बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा की गई.

कौन है महंत नृत्य गोपाल दास?

महंत नृत्य गोपाल दास का जन्म 11 जून 1938 को मथुरा के कहौला गॉव में हुआ था. उन्होंनें 12 साल की उम्र में ही वैराग्य धारण कर लिया और अयोध्या आ गए. वे महंत राममनोहर दास से दीक्षित थे. नृत्य गोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में रहे हैं. महंत नृत्‍य गोपाल दास साल 1984 से ही मंदिर आंदोलन से जुड़े हैं. उनकी अध्यक्षता में मंदिर कार्यशाला में राम मंदिर हेतु पत्थरों को तराशने का काम चला. विवादित ढांचा विध्वंस की घटना मे सीबीआई कोर्ट में उनपर आपराधिक धाराओं में केस भी चल रहा है. उनके मठ ‘मणिराम छावनी’ में पांच सौ साधुओं की जमात स्थाई तौर पर रहती है.

कौन है ट्रस्‍ट के महासचिव बनाए गए चंपत राय?

चंपत राय ने अपने करियर की शुरुआत भौतिक विज्ञान के प्रवक्‍ता से की. वे बिजनौर के एक कॉलेज में लेक्‍चरर भी रहे. वे इसके बाद संघ से जुड़ गए और प्रचारक की जिम्मेदारी संभाली. वे साल 1984 से वीएचपी के तत्‍कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल के विश्‍वासपात्र सहयोगी के रूप में मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे मंदिर आंदोलन की व्यवस्था और रणनीतिकारों के तौर पर जाने जाते हैं. वे वीएचपी की राम जन्म भूमि न्यास के मंत्री भी रहे हैं. मंदिर की अयोध्या ट्रस्‍ट का वित्तीय लेखा जोखा का नियंत्रण उनके ही हाथ में रहा है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन वर्ष की अवधि के लिए 22वें भारतीय विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी  


केंद्र सरकार ने 19 फरवरी 2020 को 22वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय कैबिनेट ने फैसला किया है कि इसका गठन तीन साल के लिए किया जाएगा. इससे पहले 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हुआ था.

विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है. सरकार आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर इस आयोग का गठन करती है. इस आयोग का मूल रूप से 1955 में गठन किया गया था. आयोग का पुनर्गठन तीन साल हेतु किया जाता है.

इससे होने वाले लाभ

सरकार को विचारणीय विषयों के अनुसार अध्ययन एवं सिफारिश के लिए आयोग को सौंपे गये कानून के भिन्न-भिन्न पहलुओं के बारे में एक विशेषज्ञता प्राप्त निकाय से सिफारिशें मिलने का लाभ प्राप्त होगा. विधि आयोग केंद्र सरकार द्वारा इसे सौंपे गये या स्वतः संज्ञान पर कानून में अनुसंधान करने और उसके बारे में सुधार करने हेतु भारत के मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने तथा नए कानून बनाने का काम करेगा. यह प्रक्रियाओं में देरी को समाप्त करने, मामलों को तेजी से निपटाने, अभियोग की लागत कम करने हेतु न्याय आपूर्ति प्रणालियों में सुधार लाने के लिए अध्ययन तथा अनुसंधान भी करेगा.
• यह ऐसे कानूनों की पहचान करेगा जिनकी अब कोई जरूरत नही है या वे अप्रासंगिक है तथा जिन्हें तुरन्त निरस्त किया जा सकता है.
• 22वें विधि आयोग मौजूदा कानूनों की जांच करेगा और सुधारों के लिए सुझाव देगा. यह संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने के लिए आवश्यक कानूनों का भी सुझाव देगा.
• यह गरीब लोगों की सेवा में कानून और कानूनी प्रक्रियाओं का उपयोग करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा.

इस आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य सचिव सहित) एवं पदेन सदस्य के रूप में विधि मंत्रालय के विधायी विभाग सचिव पदेन सदस्य के रूप में होंगे. इसमें अधिकतम पांच अंशकालिक सदस्य भी होंगे. आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आयोग की अगुवाई करते हैं.
पृष्ठभूमि

भारतीय विधि आयोग, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है. भारतीय विधि आयोग का मूल रूप से साल 1955 में गठन किया गया था. इस आयोग का प्रत्येक तीन साल के लिए पुनर्गठन किया जाता है. 21वें भारतीय विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 तक था. विभिन्न विधि आयोग प्रगतिशील विकास एवं देश के कानून के संहिताकरण के बारे में अहम योगदान देने में समर्थ रहे हैं. अभी तक विधि आयोग ने 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं.

Cut-Copy-Paste’ फंक्शन लाने वाले कंप्यूटर साइंटिस्ट लैरी टेस्लर का निधन


कट, कॉपी, पेस्ट यूजर इंटरफेस के जनक लैरी टेस्लर का हाल ही में निधन हो गया है. वे 74 साल के थे. उनका यह योगदान काफी अहम है. इनके ही योगदान से लोग कंट्रोल सी (Ctrl+C) और कंट्रोल वी (Ctrl+V) का प्रयोग करना समझा था. वे मोडलेस कंप्यूटिंग को लेकर काफी जुनूनी थे.

उन्हें जेरॉक्स पालो ऑल्टो रिसर्च सेंटर में काम करते हुए 'कट, कॉपी, पेस्ट' का विचार आया था. उन्होंने यहां काम करने के बाद एप्पल में काम करना शुरू किया था. लैरी टेस्‍लर ने 1960 के दशक में ऐसे समय कंप्‍यूटर की दुनिया में काम शुरू किया था जब कंप्‍यूटर के बारे में ज्‍यादा लोगों को जानकारी नहीं थी.

कंट्रोल सी (Ctrl+C) और कंट्रोल वी (Ctrl+V) क्या है?

कंप्यूटर या स्मार्टफोन में जब हमें कोई जानकारी कॉपी करना होता है तो हम उसे सलेक्ट (चयन) करने के बाद Ctrl के साथ C का कमांड क्लिक करते हैं. इसके बाद इसी जानकारी को कहीं और प्लेस करने के लिए Ctrl के साथ V का कमांड क्लिक किया जाता है. कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर काम के दौरान इन दोनों कमांड का हमेशा प्रयोग होता है.
• लैरी टेस्लर ने करियर के शुरुआती दिनों में काफी समय जेरॉक्स कंपनी में बिताया था. उसके बाद उन्होंने एप्पल में काम करना शुरू किया था. उन्होंने एप्पल के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी ग्रुप में वाइस प्रेसिडेंट पद पर रहते हुए कई इंटरफेस बनाए थे.

• उन्होंने साल 1997 में एप्पल का साथ छोड़ दिया था. उन्होंने एप्पल छोड़ने के बाद शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े और कुछ दिन अमेजन और याहू के लिए भी काम किया था. उन्होंने अपने जीवन में जिन-जिन कंपनियों में काम किया वे आज विश्वभर में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं

श्री रामायण एक्समप्रेस: जानिए ट्रेन से जुड़ी खास बातें


भगवान राम से जुड़े स्थलों की तीर्थ यात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों हेतु रेलवे 28 मार्च से विशेष पर्यटक ट्रेन चलाएगा. भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने हाल ही में 28 मार्च से एक विशेष ट्रेन 'श्री रामायण एक्सप्रेस' चलाने की घोषणा की है.

'श्री रामायण एक्सप्रेस' में दस कोच होंगे जिसमें पांच स्लीपर क्लास के गैर-वातानूकूलित कोच और पांच एसी के 3-टीयर कोच होंगे. यह ट्रेन भगवान राम से जुड़े सभी तीर्थ स्थलों को कवर करेगी. आईआरसीटीसी के मुताबिक बुकिंग पूरी तरह से पहले आओ पहले पाओ के अनुसार होगी. यह ट्रेन 28 मार्च 2020 को सफदरजंग रेलवे स्टेशन (नई दिल्ली) से अपनी यात्रा शुरू करेगी.

श्री रामायण एक्सप्रेस का रूट

‘श्री रामायण एक्‍सप्रेस' की यात्रा में अयोध्या में राम जन्मभूमि तथा हनुमान गढ़ी, नंदीग्राम में भारत मंदिर, सीतामढ़ी (बिहार) में सीता माता मंदिर, जनकपुर (नेपाल), वाराणसी में तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर, सीतामढ़ी (उत्तर प्रदेश) में सीतामढ़ी स्थल, प्रयाग में त्रिवेणी संगम, हनुमान मंदिर और भारद्वाज आश्रम, श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि मंदिर, चित्रकूट में रामघाट और सती अनुसुइया मंदिर, नासिक में पंचवटी, हंपी में अंजनाद्री हिल एवं रामेश्वरम में ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर शामिल हैं.
भारत का रामायण सर्किट

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसका किराया स्‍लीपर क्लास में प्रति व्‍यक्ति 16,065 रुपये होगा, जबकि वातानुकूलित श्रेणी में प्रति व्यक्ति किराया 26,775 रुपये होगा. इस यात्रा के अंतर्गत इच्‍छुक पर्यटक श्रीलंका में भगवान राम से जुड़े पर्यटन स्‍थलों का भी दौरा कर सकते हैं. अगर यात्री श्रीलंका जाना चाहते हैं तो उन्हें अतिरिक्त शुल्क देना होगा. यात्री चेन्नई से कोलंबो के लिए उड़ान भर सकते हैं. श्रीलंका में 'रामायण सर्किट' के दर्शन के इच्‍छुक पर्यटकों से प्रति व्यक्ति 37,800 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश बजट 2020-21 की मुख्य बातें 

योगी आदित्यनाथ सरकार में वित्त मंत्र श्री सुरेश खन्ना ने 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश का बजट पेश किया था. बजट में यूपी की इकोनॉमी को 1 मिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश के बजट का आकार 5,12,860 करोड़ रूपये का दिखाया गया है यह पिछले साल की तुलना में 33,159 करोड़ रूपये अधिक है.
आइये इस लेख में उत्तर प्रदेश सरकार के बजट की प्रमुख घोषणाओं (Key highlights of the UP Budget 2020-21) के बारे में जानते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के बजट की प्रमुख घोषणायें (Key highlights of the UP Budget 2020-21)

1. उत्तर प्रदेश सरकार को वस्तु एवं सेवा कर और वैट से 91,568 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान है. इसके अलावा वाहन कर से 8650 करोड़ रुपए, स्टांप और पंजीयन से 23197 करोड़ रुपये और आबकारी विभाग से 37500 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है.
b. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU)के लिए 919 करोड़ रुपए और अटल आवासीय विद्यालय के लिए 270 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
c. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत 111 करोड़ रुपये की व्यवस्था, समग्र शिक्षा अभियान के लिए 18363 करोड़ रुपये की व्यवस्था और दिव्यांगों को 500 रुपये प्रतिमाह पेंशन के लिए 621 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है.
a. बजट में 1,200 करोड़ रूपये की धनराशि राज्य के युवाओं के लिये विभिन्न स्वत:रोजगार योजनाओं के लिए आवंटित की गयी है. यह योजना एक लाख से अधिक युवाओं को स्व रोजगार की ओर ले जायेगी और प्रत्येक जिले में युवा हब हेतु 50 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गयी है.
b. उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में प्रशिक्षित युवाओं को युवा उदयमिता विकास अभियान (युवा) के द्वारा रोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का प्रयास किया गया है. इसके लिए प्रत्येक जिले में ‘युवा हब’ स्थापित किया जायेगा.
c. जो युवा कुछ सिलेक्टेड इंडस्ट्रीज में स्व रोजगार के लिए ट्रेनिंग करेंगे उनको राज्य सरकार द्वारा 1,000 रूपये प्रतिमाह और केंद्र सरकार द्वारा रु. 1500 प्रतिमाह का भत्ता दिया जायेगा. इस योजना हेतु 100 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गयी है. 
a. उत्तर प्रदेश के बजट में बुंदेलखंड और पूर्वांचल के विकास के मुख्य जोर बिजली की व्यवस्था, सड़क निर्माण, पानी की जरूरत, जैसी सुविधाओं को पूरा करने की कोशिश होगी.

b. जेवर हवाई अड्डे के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, बजट में अयोध्या एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

उत्तर प्रदेश के प्रमुख हवाई अड्डों की सूची
c. गोरखपुर और अन्य शहरों में मेट्रो सुविधाओं के लिए 200 करोड़ रुपये, कानपुर मेट्रो के लिए 358 करोड़ रुपये आवंटित.

g. स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन के जरिये 3000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.

6. किसानों के लिए बजट में 


b. तलाकशुदा महिलाओं को 500 रुपये प्रति महीने पेंशन देने का प्रावधान. इसका फायदा मुख्य रूप से तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को होगा. सरकार ने इसके लिए 1425 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है.

d. उत्तर प्रदेश की थारू, मुसहर, और वनटंगिया जनजातियों के आवास के लिए 370 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है.
इस प्रकार ऊपर दिए गए तथ्यों से यह बात स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने बजट 2020-21 में समाज के हर तबके के लिए कुछ ना कुछ करने का प्रयास किया है. हालाँकि कानून व्यवस्था और रोजगार सृजन के मामले में यह बजट बहुत कुछ नहीं कहता है.
यह लेख उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी होगा. इसलिए प्रतियोगी छात्र इसे ध्यान से पढ़ें.

जानें हैंड ड्रायर का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है या नहीं? 


हैंड ड्रायर एक ऐसी मशीन है जो गीले हाथों को सुखाने के लिए आजकल सार्वजनिक शौचालयों में इस्तेमाल की जा रही है. परन्तु क्या इसे इस्तेमाल करना सेफ है, ये हमारी सेहत के लिए हानिकारक है या नहीं. आइये इस लेख के माध्यम से हैंड ड्रायर को लेकर विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा दिए गए शोध के बारे में अध्ययन करते हैं.

आपने सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय में हैंड ड्रायर देखा होगा. इसका लोग इस्तेमाल हाथों को सुखाने के लिए करते हैं. ये हम सब जानते हैं और वैज्ञानिकों का भी कहना है कि 80 फीसदी संक्रमण हाथों के माध्यम से फैलते हैं.

इसलिए ही तो हाथों को खाना खाने से पहले और खाने के बाद धोना चाहिए. साथ ही धोने के अलावा हाथों को सुखाना भी अनिवार्य होता है. इसलिए ही तो आजकल पेपर को बचाने के लिए सार्वजनिक शौचालयों में हैंड ड्रायर का इस्तेमाल किया जा रहा है.

परन्तु क्या आप जानते हैं कि यह हाथों को सुखाने वाली मशीन सेहत के लिए काफी हानिकारक है. इसके इस्तेमाल से कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि हैंड ड्रायर को इस्तेमाल करने से बीमारियां हो सकती हैं या नहीं, वास्तव में क्या ये हानिकारक है, इस पर शोधकर्ताओं का क्या कहना है आदि.
हैंड ड्रायर क्या होता है?  

हैंड ड्रायर एक ऐसी मशीन है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक जगहों पर जैसे पार्क, शॉपिंग माल, पीवीआर आदि के शौचालयों में गीले हाथों को सुखाने के लिए किया जा रहा है. इससे जो गरम हवा निकलती है हाथ कुछ ही मिनटों में सूख जाते हैं. कई बार जल्दी में हाथों को पूरे सुखाए बिना ही हम लोग निकल जाते हैं. जो और भी हानिकारक साबित हो सकता है. क्या आप जानते हैं कि जेट ड्रायर की हाई वेलोसीटी में साधारण हॉट ड्रायर (Hot dryers) से पांच गुणा ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इसलिए ये खतरनाक बीमारियों का कारण भी बन सकता है.
इसको पता लगाने के लिए 3 तरीकों से हाथ सुखाने की प्रक्रिया का गहराई से परीक्षण किया गया ताकि यह स्पष्ट हो जाए की पेपर टॉवल, गर्म हवा वाला हैंड ड्रायर और जेट ड्रायर किसका इस्तेमाल सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. शोध के बाद यह पता चला कि जेट ड्रायर से 1300 बार पेपर टॉवल को यूज करने के बराबर बैक्टीरिया फैलने का खतरा रहता है. खोज में यह पता चला है कि जेट ड्रायर 3 मीटर की दूरी तक, वार्म ड्रायर 75 सैंटी मीटर और टीशू पेपर सिर्फ 10 इंच तक खतरनाक कीटाणुओं को फैलाने की क्षमता रखता है.
2. एक और अध्ययन की रिपोर्ट से यह पता चला है कि सार्वजनिक शौचालयों में ट्वायलेट को फ्लश करने के बाद जो बैक्टीरिया निकलते हैं, उसे हैंड ड्रायर्स अपनी ओर खींच लेते हैं. अध्ययन के दौरान कुछ एक्सपेरिमेंट किया गया: बाथरूम में बैक्टीरिया युक्त बर्तनों को 18 घंटे तक छोड़ दिया गया और देखा की कुछ बैक्टीरिया की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. फिर इन बर्तनों को ऐसे बाथरूम में रखा गया जहां हैंड ड्रायर मशीन लगी हुई थी और पाया कि 30 सेकेंड के भीतर ही बैक्टीरिया की संख्या में 254 की बढ़ोतरी हो चुकी थी.

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इन बैक्टीरिया में स्टेफीलोकोकस औरियस भी शामिल हो सकते हैं, जो एंटीबायोटिक मेथिसिलिन जैसी दवाओं के लिए आपको रेसिस्ट बना सकते हैं ओर सेप्सिस, निमोनिया या टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम जैसी बीमारियों से ग्रस्त कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि हैंड ड्रायर से जो गर्म हवा निकलती है उसके कारण स्पोर्स नामक बैक्टीरिया हाथ में चिपक जाते हैं जिससे दस्त, डिहाइड्रेशन हो सकता है.

3. ब्रिटिश शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, जब कोई अन्य व्यक्ति हैंड ड्रायर को प्रयोग कर रहा हो तो उसके पास खड़े रहने वाले लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, चिंता की बात यह है कि वे बैक्टीरिया को फर्श से लगभग एक मीटर की दूरी तक फैलाते हैं. जब कागज़ के तौलिए का उपयोग हाथ सुखाने के लिए किया जाता है तो, बैक्टीरिया का कोई फैलाव नहीं होता है, लेकिन इन मशीनों से बैक्टीरिया काफी तेज़ी से फैलते हैं.

4. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कागज़ के तौलिया को हाथ सुखाने में इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया की संख्या 45 से 60 प्रतिशत तक घट जाएगी, जो कि हैंड ड्रायर से 255 प्रतिशत बढ़ सकती है.


निपाह वायरस क्या है और कैसे फैलता है?


निपाह वायरस क्या है? सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention, CDC) के अनुसार इस वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था जहां से इसका नाम निपाह वायरस पड़ा. उस वक्त कुछ सुअर के किसानों को मस्तिष्क में बुखार हुआ था इसलिए इस गंभीर बीमारी के वाहक सुअर थे. सिंगापुर में भी इसके बारे में 1999 में पता चला था.
ये सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है. साल 2004 में बांग्लादेश और 2001 में भारत के कुछ लोग सबसे पहले इस वायरस की चपेट में आए थे.

इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है और फिर ये एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता है.

ये वायरस Paramyxoviridae family का सदस्य है जो कि जानवर से फलों में और फलों के जरिए व्यक्तियों में फैलता है और साथ ही ये हेंड्रा वायरस से भी संबंधित है. CDC के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन इंसेफेलाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है.

निपाह वायरस संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअरों या अन्य NiV संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शेन है. मलेशिया और सिंगापुर में, मनुष्य, संक्रमित सुअर के कारण निपाह वायरस इंफेक्शन की चपेट में आए थे.

यहां तक कि खेतों के बीच में भी ये संक्रमण कपड़े, उपकरण, जूते या वाहन आदि के जरिये वायरस ले जाने के कारण भी हो सकता है.
खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्श न की चपेट में जल्दीह आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे.
निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण

- इस संक्रमण के शुरूआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

- बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी और बेहोशी का होना.

- मनुष्यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आ जाती है.


- इससे संक्रमित मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

- संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है और इसके बाद इंसान की मौत भी हो सकती है.

- मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर ये रोग फैला.
इलाज और निपाह वायरस इन्फेक्शन से बचाव के तरीके

चूंकि निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है.

- संक्रमित रोगी से दूर रहें.

- अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें.

- यदि आप किसी संक्रमित क्षेत्र में और उसके आस-पास अस्वस्थ महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

नोट: निपाह वायरस के कारण होने वाला इन्फेक्शन एक उभरती हुई बीमारी है और अब तक इस बीमारी के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इसलिए, हमें बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित सावधानी बरतनी चाहिए.

जानिए सचिन तेंदुलकर को क्यों मिला लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड


विश्व के महानतम खिलाड़ियों में गिने जाने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को 18 फरवरी 2020 को लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड (2000-2020) दिया गया है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवॉर्ड कार्यक्रम में सचिन तेंदुलकर के नाम का घोषणा किया गया था.
यह सम्मान सचिन तेंदुलकर को प्रशंसकों के वोटों के आधार पर मिला है. खेल प्रेमियों को साल 2000 से साल 2020 तक खेल की दुनिया के ऐसे 'श्रेष्ठ पल' को चुनना था जब खेल के वजह से लोग 'बेहद असाधारण रूप से' एकजुट हुए हों.

इस पुरस्कार के लिए सचिन तेंदुलकर समेत विश्वभर से 20 दावेदार नामित हुए थे. उन सभी को पछाड़ते हुए सचिन तेंदुलकर ने यह अवॉर्ड अपने नाम कर लिया. बर्लिन में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने सचिन तेंदुलकर को लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड 2000-2020 के विजेता बनने की घोषणा की.

लॉरियस बेस्ट स्पोर्ट मोमेंट अवॉर्ड 

प्रशसंकों ने साल 2011 में भारत के क्रिकेट चैंपियन बनने के बाद के उन लम्हों को सबसे ज्यादा वोट दिए, जब जीत का जश्न मनाते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर को कंधों पर उठा लिया था. इसी ऐतिहासिक क्षण को पिछले बीस वर्षों में 'लॉरियस बेस्ट स्पोर्ट मोमेंट' माना गया. इसी की कारण से सचिन तेंदुलकर को ये अवॉर्ड मिला है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
साल 2011 का विश्व कप सचिन तेंदुलकर का छठा और अंतिम विश्व कप था. फ़ाइनल मैच के आख़िरी पलों में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के तेज़ गेंदबाज़ नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का लगाकर जीत हासिल की थी. इसके बाद जोश में आए भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों ने दौड़ लगा दी और सचिन तेंदुलकर को कंधों पर उठाकर पूरे मैदान का चक्कर लगाया. ये दृश्य क्रिकेट प्रशंसकों के दिमाग में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गए.


लॉरियस अवॉर्ड क्या है?

लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवॉर्ड का आयोजन प्रत्येक साल होता है. यह आयोजन खेल की दुनिया के खिलाड़ियों और टीमों को उनकी साल भर की उपलब्धियों हेतु सम्मानित किया जाता है. इन पुरस्कारों की शुरुआत साल 1999 से हुई थी.

यह अवॉर्ड पहली बार 25 मई 2000 को दिए गए थे. इसमें 13 अलग-अलग कैटेगरी में अवॉर्ड दिए जाते हैं. लॉरेस अकादमी के सदस्य आस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेट कप्तान स्टीव वा ने सचिन तेंदुलकर के नामांकन को क्रिकेट हेतु शानदार लम्हा करार दिया है.
इस साल फ़ॉर्मूला वन ड्राइवर लुइस हैमिल्टन तथा फ़ुटबॉलर लियोनेल मेसी को संयुक्त रूप से वर्ल्ड स्पोर्ट्समैन ऑफ़ द इयर अवॉर्ड दिया गया है. जापान में रग्बी विश्व कप जीतने वाली साउथ अफ्रीका की पुरूष रग्बी टीम (स्प्रिंगबोक्स) को टीम ऑफ द ईयर चुना गया.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस 2020: जानिए इसका इतिहास और महत्व



मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस 19 फरवरी 2020 को पूरे देश में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ की शुरूआत की थी. इस योजना का लक्ष्य देश भर के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये जाने में राज्यों का सहयोग करना है.

भारत सरकार किसानों के लिए इस दिन विभिन्न जागरूकता और सूचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन करती है. एक सरकारी एजेंसी गांवों से मिट्टी के नमूने एकत्र करती है और सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करती है. इसके अलावा, किसानों को प्राकृतिक उर्वरकों के उपयोग करने के बारे में भी जानकारी दी जाती है.

इस योजना का शुरुआत क्यों किया गया था?

इस योजना की शुरुआत राज्य सरकारों को सभी किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में सहायता करने हेतु किया गया था. इससे किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी मिलती है. साथ ही किसानों यह भी सलाह दी जाती है, कि मिट्टी की सेहत और उसकी उर्वरता में सुधार हेतु पोषक तत्वों की कितनी खुराक देनी चाहिए.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा के स्वास्थ्य से सम्बंधित सूचकों तथा उनसे जुडी शर्तों को प्रदर्शित करता है. मृदा स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट मृदा परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा तैयार की जाती है. इसमें फसल के मुताबिक, उर्वरकों के प्रयोग तथा मात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जाता है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करके फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है.


इस योजना की सहायता से किसानों को अपने खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल पायेगी. इससे किसान मन चाहे अनाज या फसल उत्पादन कर सकते है. इस योजना से किसानों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और देश उन्नति की और बढ़ेगा. किसान इन कार्डों की सहायता से अपने खेतों की मृदा के बेहतर स्वास्थ्य तथा उर्वरता में सुधार हेतु पोषक तत्त्वों का उचित मात्रा में उपयोग करने के साथ ही मृदा की पोषक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रत्येक तीन साल में दिया जाता है. इससे किसान को अपने खेत की मिट्टी के बदलाव के बारे में भी बीच-बीच में पता चलता रहेगा. इस योजना के तहत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी आयु 40 वर्ष तक है, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नमूना परीक्षण कर सकते हैं. यह योजना उपज बढ़ाकर किसानों की अतिरिक्त आय सुनिश्चित करती है तथा साथ ही, टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा देती है.

विलुप्त होने की कगार पर पक्षियों की कई प्रजातियां: रिपोर्ट



प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर में वन्‍य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत दुनिया के सर्वाधिक विविधताओं से भरे देशों में से एक है. उन्होंने कहा कि विश्व के 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में करीब आठ प्रतिशत का योगदान करता है.

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पक्षियों पर संकट गहराता जा रहा है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 79 प्रतिशत पक्षियों की संख्या घटी है, जिनमें से कइयों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है. प्रवासी जीवों पर हो रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, सीओपी-13 में ‘स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स रिपोर्ट: 2020’ के जरिए पक्षियों के ताजा आंकड़े सामने आए हैं.

गौरैया की संख्या लगभग स्थिर
• रिपोर्ट के अनुसार, आम धारणा के विपरीत 25 साल से अधिक समय में गौरैया की संख्या लगभग स्थिर है. मोर की संख्या बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार गिद्ध की संख्या पहले घट रही थी, लेकिन अब यह बढ़ने लगी है.


• हालांकि, गौरैया की संख्या दिल्ली, मुंबई समेत छह मेट्रो शहरों में थोड़ी गिरावट आई है. जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध पश्चिमी घाटों पर साल 2000 से पक्षियों की तादाद में 75 प्रतिशत तक कम हुई है.
• इस रिपोर्ट में 867 प्रकार के पक्षियों का अध्ययन कर उनके दीर्घावधि (25 साल) एवं लघु अवधि (पांच साल) आंकड़े जुटाए गए.


• रिपोर्ट में जिन 146 प्रजातियों के लघु अवधि के आंकड़ों का विश्लेषण हुआ, उनमें से 80 प्रतिशत की संख्या कम हुई है और 50 प्रतिशत की संख्या तो तेजी से गिरी है. इस रिपोर्ट में 101 प्रजातियों के संरक्षण पर अत्यधिक चिंता जताई गई है.

• आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि पक्षियों की 48 प्रतिशत प्रजातियों की संख्या स्थिर रही है अथवा दीर्घावधि में बढ़ी है. लेकिन पिछले पांच साल में 79 प्रतिशत पक्षियों की संख्या में गिरावट आना चिंताजनक है.
• रिपोर्ट के अनुसार तेजी से गिरावट वाले पक्षियों में शिकारी पक्षी, प्रवासी समुद्री पक्षी पिछले दशकों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

Vande Bharat Express के परिचालन का एक साल पूरा, जानें इसकी खासियत

भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) ने अपने परिचालन का एक साल पूरा कर लिया है. वंदे भारत की पहली यात्रा 17 फरवरी 2019 को शुरू हुई थी. इसके परिचालन का एक साल पूरा होने पर 17 फरवरी 2020 को रेलवे के अधिकारियों ने इस ट्रेन में सवार यात्रियों का स्वागत किया और सुविधाओं पर उनसे सुझाव भी लिए.

वंदे भारत एक्सप्रेस के परिचालन का एक साल पूरा होने पर उत्तर रेलवे ने बताया कि इस दौरान इस गाड़ी ने कुल 3.8 लाख किलोमीटर की दूरी तय की, कुल 92.29 करोड़ रुपये का लाभ कमाया. इस दौरान वंदे भारत एक्सप्रेस की 100 फीसदी सीटें भरी रहीं.

रेल मंत्री ने किया ट्वीट

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वंदे भारत के एक साल पूरा करने पर कहा कि यात्रियों की सेवा में कार्यरत वंदेभारत एक्सप्रेस ने अपने एक वर्ष में देश में रेल यातायात की परिभाषा तथा उसके प्रति लोगों के विचार को बदला है.


यह ट्रेन सोमवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर सप्ताह में पांच दिन चलती है. दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नई दिल्ली से श्री वैष्णो देवी कटड़ा स्टेशन के बीच होता है. ट्रेन-18 (Train 18) नाम से भी मशहूर भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन को ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ कहा जाता है.

यह ट्रेन सभी आधुनिक तकनीकी खूबियों और आधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस है. यह भारत की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन है. इस रेलगाड़ी के रैक का निर्माण, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई द्वारा अक्टूबर 2018 में किया गया था. इस ट्रेन को बिजली से पावर मिलती है.

इस ट्रेन की पूरी बॉडी ख़ास एल्यूमिनियम की बनी है अर्थात यह ट्रेन वज़न में हल्की भी होगी. इस ट्रेन में यात्रियों के लिए दूसरे आम ट्रेनों के अपेक्षा ज्यादा सुविधायें मिलेंगी. वंदे भारत के दरवाजे मेट्रो ट्रेनों की तरह स्वचालित होंगे. अर्थात, प्लैटफॉर्म पर ही खुलेंगे और बंद हो जाएंगे.


फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट क्या हैं?


वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की स्थापना जुलाई 1989 में पेरिस में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में सात (जी-7) देशों के समूह द्वारा की गई थी. एफएटीएफ का प्रारंभिक उद्येश्य मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जांच करना और इसके विस्तार को रोकना था.

अक्टूबर 2001 में, FATF ने अपने कार्य क्षेत्र में विस्तार करते हुए; टेरर फंडिंग और मानव तस्करी से निपटने के प्रयासों को शामिल किया था.

FATF के कार्य इस प्रकार हैं (Functions of FATF)
1. FATF एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के लिए ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम के इस्तेमाल को रोकने के लिए नीतियों को विकसित करता और बढ़ावा देता है.

2. अब FATF ने वर्चुअल करेंसी से सम्बंधित मुद्दों पर भी विचार करना शुरू कर दिया है.

3. एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय नीति-निर्माण निकाय है. हालाँकि कानून प्रवर्तन मामलों, जांच या अभियोजन में इसकी कोई भूमिका नहीं है.

FATF की ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट क्या हैं? (Black and Grey List of FATF)

FATF की 2 प्रकार की सूचियां हैं;
1. ब्लैक सूची

2. ग्रे सूची

1.ब्लैक लिस्ट (What is the Meaning of Black List): जो देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं उन्हें ब्लैक लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है. अर्थात इन देशों में मौजूद फाइनेंसियल सिस्टम की मदद से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा मिलता है.
एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट या ओईसीडी ब्लैकलिस्ट को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स द्वारा 2000 से जारी किया जा रहा है.

FATF; उन देशों को इस लिस्ट में जोड़ देता है जो कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अपने वित्तीय सिस्टम का उपयोग होने देते हैं. इसके साथ ही इसमें उन देशों के नाम हटा दिए जाते हैं जो कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों के वित्त पोषण को रोकते हैं. यह लिस्ट कुछ अन्तराल पर अपडेट होती रहती है.

2. ग्रे लिस्ट (What is the Meaning of Grey List): इस लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो कि अपने देश के फाइनेंसियल सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग नहीं होने देते हैं.

यदि कोई देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने में असमर्थ रहता है तो उसे FATF द्वारा ग्रे सूची से ब्लैक सूची में स्थानांतरित कर दिया जाता है.


(नक्से में दिखाए गये ग्रे लिस्ट के देश)

जब कोई देश ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो उसे निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है;

1. अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (विश्व बैंक, IMF, एशियाई विकास बैंक इत्यादि) और देशों के आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है.
2. अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या आती है.
4. पूर्णरूप से अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है.

वर्ष 2012 में पहली बार पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल किया गया था और 2015 तक इसमें रहा था. 29 जून, 2018 को एफएटीएफ ग्रे में दूसरी बार पाकिस्तान को सूचीबद्ध किया. यह प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू हुई जब एफएटीएफ ने अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (ICRG) के तहत निगरानी के लिए पाकिस्तान के नामांकन को मंजूरी दी, जिसे आमतौर पर 'ग्रे सूची' के रूप में जाना जाता है.

ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान (Pakistan in Grey List)

वर्तमान में पाकिस्तान FATF की ग्रे सूची में है. बढ़ते दबाव के कारण; पाकिस्तान सभी 27 FATF लक्ष्यों का पालन करने का प्रयास कर रहा है लेकिन अक्टूबर 2019 तक; वह 27 में से सिर्फ 5 लक्ष्यों का पालन कर सका है.
अब FATF ने सभी 27 FATF लक्ष्यों का पालन करने के लिए पाकिस्तान को 4 महीने का समय (फरवरी 2020) दिया है अगर इस समय तक पाकिस्तान सभी 27 लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसे FATF द्वारा ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जायेगा. फरवरी,2020 में आई रिपोर्ट में FATF ने कहा है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकी गुटों को मदद दे रहा है. भारत ने पाकिस्तान के ऊपर कार्रवाही की मांग की है.

ब्लैक सूची में जाने से बचने के लिए पाकिस्तान के पास तीन देशों का समर्थन होना चाहिए जबकि ग्रे सूची से निकलने के लिए पाकिस्तान को 39 में से 12 मतों की जरूरत है. वर्तमान में पेरिस में FATF की बैठक चल रही है जिसमें विचार किया जायेगा कि क्या पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला जाये यान नहीं पिछले साल हुई बैठक में पाकिस्तान को चीन, तुर्की और मलेशिया ने समर्थन दिया था जिसके कारण वह ब्लैक लिस्ट में जाने से बच गया था.

तो यह थी FATF की ब्लैक सूची और ग्रे सूची के बारे में जानकारी. मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान के नेता अपनी धरती से आतंकी गतिविधियों को बंद करेंगे ताकि भारत और पाकिस्तान मिलकर एशियाई महाद्वीप में शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर सकें.

आईसीसी महिला T20 विश्व कप विजेताओं की सूची

आईसीसी महिला टी 20 विश्व कप के बारे में तथ्य (Facts about ICC Women's T20 World Cup)

पहला संस्करण: 2009

प्रथम विजेता: इंग्लैंड

पहला मेजबान राष्ट्र: इंग्लैंड

प्रशासक: अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद

टूर्नामेंट प्रारूप: राउंड रॉबिन और नॉकआउट

वर्तमान चैंपियन: ऑस्ट्रेलिया (2018)

सबसे सफल टीम: ऑस्ट्रेलिया (4 बार)


भारतीय महिला क्रिकेट टीम 2009 में शुरू किये गये पहले महिला टी 20 विश्व कप से ही भाग ले रही है. भारतीय टीम अब तक किसी भी महिला T20 विश्व कप में फाइनल में नहीं पहुंची है. इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम 2009, 2010 और 2018 में सेमीफाइनल खेलकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चुकी है.

भारत ने 2016 में आईसीसी महिला T20 विश्व कप की मेजबानी भी की है और यह टूर्नामेंट, वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीता था. अर्थात वेस्टइंडीज की टीम पहली बार ही फाइनल में पहुंची और विश्व कप विजेता बनी थी. अब तक खेले गये 6 महिला क्रिकेट विश्व कप सिर्फ 3 देशों ने ही जीते हैं.

विजेता 

उपविजेता 

वर्ष /मेजवान
इंग्लैंड
न्यूजीलैंड

ऑस्ट्रेलिया

न्यूजीलैंड

2010/वेस्टइंडीज 

ऑस्ट्रेलिया

इंग्लैंड

2012/श्रीलंका

ऑस्ट्रेलिया

इंग्लैंड

2014/बांग्लादेश

ऑस्ट्रेलिया

2016/इंडिया

इंग्लैंड

2018/वेस्टइंडीज 

    TBD

2020/ऑस्ट्रेलिया

   TBD

     TBD

2022/दक्षिण अफ्रीका 

उपरोक्त तालिका से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया सबसे सफल टीम है जिसने 4 खिताब जीते हैं जबकि इंग्लैंड 3 बार उपविजेता रहा है.

खिताबों के साथ साथ जीत की संख्या के मामले में भी ऑस्ट्रेलिया सबसे सफल टीम है जिसने 32 मैचों में से 24 मैच जीते हैं, 7 हारे हैं और 1 टाई रहा है. भारतीय टीम ने 26 मैच खेले हैं, जिनमें 13 जीते और 13 हारे हैं.
आईसीसी महिला T20 विश्व कप 2020 (ICC Women's T20 World Cup 2020)

महिला T20 क्रिकेट विश्व कप के इस संस्करण में 10 टीमें भाग ले रही हैं. भाग लेने वाली टीमों के नाम हैं;
1. ऑस्ट्रेलिया

2. बांग्लादेश





10. वेस्ट इंडीज

थाईलैंड महिला टीम के लिए यह पहला टूर्नामेंट है. शीर्ष 8 टीमों ने स्वतः ही इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लिया है जबकि थाईलैंड और बांग्लादेश ने 2019 आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी 20 क्वालीफायर मैचों के माध्यम से क्वालीफाई कर लिया है.
आईसीसी महिला T20 विश्व कप 2020 का पहला मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 21 फरवरी 2020 को खेला जाएगा. आईसीसी महिला T20 विश्व कप 2020 का फाइनल एमसीजी, मेलबर्न के मैदान पर 8 मार्च 2020 को खेला जाएगा. अगला आईसीसी महिला T20 विश्व कप, दक्षिण अफ्रीका में 2022 में खेला जाएगा.

डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?


दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?

 अब हालात तो ऐसे हो गए हैं कि यदि कोई डॉलर का नाम लेता है तो लोगों के दिमाग में सिर्फ अमेरिकी डॉलर ही आता है जबकि विश्व के कई देशों की करेंसी का नाम भी 'डॉलर' है. अर्थात अमेरिकी डॉलर ही “वैश्विक डॉलर” का पर्यायवाची बन गया है.

जानें दुनिया के इन देशों में प्रति व्यक्ति कितना कर्ज है?

डॉलर की मजबूती का इतिहास:

न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स में दुनिया के विकसित देश मिले और उन्होंने अमरीकी डॉलर के मुक़ाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया. उस समय अमरीका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था. इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी.


(ब्रेटन वुड्स कांफ्रेंस)

सन 1970 की शुरुआत में कई देशों ने मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए डॉलर के बदले सोने की मांग शुरू कर दी थी. ये देश अमेरिका को डॉलर देते और बदले में सोना ले लेते थे. ऐसा होने पर अमेरिका का स्वर्ण भंडार खत्म होने लगा. उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर दिया और इस प्रकार डॉलर और सोने के बीच विनिमय दर का करार खत्म हो गया और मुद्राओं का विनिमय मूल्य; मांग और पूर्ती के आधार पर होने लगा.

डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा होने के निम्न कारण हैं

1. इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएँ हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मुद्राओं का इस्तेमाल अपने देश के भीतर ही होता है. कोई भी मुद्रा दुनिया भर में किस हद तक प्रचलित है यह उस देश की अर्थव्यवस्था और ताक़त पर निर्भर करता है. ज़ाहिर है डॉलर की मज़बूती और उसकी स्वीकार्यता अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त को दर्शाती है.

2. दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है.

3. विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देशों के कोटे में भी सदस्य देशों को कुछ हिस्सा अमेरिकी डॉलर के रूप में जमा करना पड़ता है.

4. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64% अमरीकी डॉलर होते हैं.

5. यदि दो नॉन अमेरिकी देश भी एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं तो भुगतान के रूप में वे अमेरिकी डॉलर लेना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यदि उनके हाथ में डॉलर है तो वे किसी भी अन्य देश से अपनी जरूरत का सामान आयात कर लेंगे.

6. अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता है इसलिए देश इस मुद्रा को तुरंत स्वीकार कर लेते हैं.

7. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसके कारण यह बहुत से गरीब देशों को अमरीकी डॉलर में ऋण देता है और ऋण बसूलता भी उसी मुद्रा में हैं जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मांग हमेशा रहती है.
डॉलर के बाद दुनिया में दूसरी ताक़तवर मुद्रा यूरो है जो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 20% है. यूरो को भी पूरे विश्व में आसानी से भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार किया जाता है. दुनिया के कई इलाक़ों में यूरो का प्रभुत्व भी है. यूरो इसलिए भी मज़बूत है क्योंकि यूरोपीय यूनियन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि निकट भविष्य में यूरो, डॉलर की जगह ले सकता है.

डॉलर को चीनी और रूसी चुनौती:

मार्च 2009 में चीन और रूस ने एक नई वैश्विक मुद्रा की मांग की. वे चाहते हैं कि दुनिया के लिए एक रिज़र्व मुद्रा बनाई जाए 'जो किसी इकलौते देश से अलग हो और लंबे समय तक स्थिर रहने में सक्षम हो.
इसी कारण चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा “युआन” वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में व्यापार के लिए व्यापक तरीक़े से इस्तेमाल हो. अर्थात चीन, युआन को अमेरिकी डॉलर की वैश्विक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होते देखना चाहता है. ज्ञातव्य है कि चीन की मुद्रा युआन को IMF की SDR बास्केट में 1 अक्टूबर 2016 को शामिल किया गया था.

यूरोपियन यूनियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में विश्व के कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 14% और आयात में अमेरिकी हिस्सा 18% था. तो इन आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिका का विश्व व्यापार में महत्व और डॉलर की अंतरराष्ट्रीय बाजार में वैश्विक मुद्रा के रूप में सर्वमान्य पहचान है.

नाडा ने जेवलिन थ्रो खिलाड़ी अमित दहिया पर लगाया चार साल का बैन


राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अनुशासनात्मक पैनल ने 17 फरवरी 2020 को एतिहासिक फैसला सुनाते हुए जेवलिन थ्रो खिलाड़ी अमित दहिया पर चार साल का बैन लगा दिया है. अमित दहिया ने पिछले साल राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप के दौरान डोप नमूने के लिए अपनी जगह किसी और को भेज दिया था.

हरियाणा के सोनीपत में 16 अप्रैल 2019 को हुई राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप प्रतियोगिता में अमित दहिया 68.21 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. नाडा के अधिकारियों ने इसके बाद अमित दहिया को डोप नमूने देने को कहा था लेकिन अपनी जगह उन्होंने नूमना देने के लिए किसी और को भेज दिया.

नाडा ने अमित दहिया पर प्रतिबंध क्यों लगाया?

राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप प्रतियोगिता में अमित दहिया अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. नाडा के अधिकारियों ने इसके बाद अमित दहिया को डोप नमूने देने को कहा था. सत्यापन प्रक्रिया के दौरान नाडा के डोप नमूने एकत्रित करने वाले अधिकारियों को पता चला कि मूत्र के नमूने देने के लिए आया व्यक्ति कांस्य पदक विजेता नहीं है. वह व्यक्ति इस योजना की विफलता के बारे में जानकार उस कमरे से भाग गया जहां नमूने एकत्रित किए जा रहे थे.
अमित दहिया को 16 जुलाई 2019 को अस्थाई तौर पर निलंबित किया गया था. नाडा ने अमित दहिया के मामले को 09 जनवरी 2020 को एडीडीपी (अनुशासनात्मक पैनल) के पास भेज दिया. एडीडीपी ने अब दाहिया को अस्थाई निलंबन की तारीख से चार साल तक निलंबित करने का फैसला सुनाया है.

नाडा ने कहा कि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने भाला फेंक के खिलाड़ी अमित दहिया को सोनीपत के साइ केंद्र में दूसरी राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप 2019 के दौरान जानबूझकर नमूना देने से बचने तथा डोपिंग रोधी अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी के प्रयास हेतु सजा सुनाई है.


नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त ईकाई है, जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है. सरकार नाडा के काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है. नाडा, वाडा के तहत काम करती है. वाडा का काम डोपिंग को चेक करना है. इसी मामलों में अंतिम फैसला वाडा ही करती है. खिलाड़ी को यहां पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है.

अटल भुजल योजना: विश्व बैंक भूजल प्रबंधन हेतु देगा 45 करोड़ डॉलर का ऋण


विश्व बैंक और भारत सरकार ने 17 फरवरी 2020 को अटल भूजल योजना हेतु 450 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस समझौते का मुख्‍य उद्देश्‍य देश में भूजल के घटते स्‍तर को रोकना और भूजल से जुड़े संस्‍थानों को मजबूत बनाना है.

अटल भूजल योजना (एबीएचवाई) का मुख्य उद्देश्य भागीदारी भूजल प्रबंधन से जुड़े संस्थागत ढांचे को मजबूत करना है. इसका उद्देश्य स्थायी भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है.

समझौते से संबंधित मुख्य तथ्य

इस कार्यक्रम से जलभृतों का पुनर्भरण बढ़ेगा, जल संरक्षण से जुड़े उपायों की शुरुआत होगी, जल संचयन, जल प्रबंधन एवं फसल अनुरूपता से संबंधित कार्यकलापों को बढ़ावा मिलेगा, सतत भूजल प्रबंधन के लिए संस्‍थागत संरचना का सृजन होगा और भूजल के निरंतर प्रबंधन हेतु समुदायों तथा संबंधित हितधारकों को समर्थ बनाया जाएगा.
अटल भुजल योजना (एबीएचवाई) को राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है. यह योजना महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में लागू की जाएगी. इन राज्‍यों में प्रायद्विपीय भारत के कठोर चट्टान वाले जलभृत तथा सिंधु-गंगा के मैदानी इलाके के कछारी जलभृत दोनों ही मौजूद हैं.

भारत सरकार ने अपनी विशिष्ट विशेषताओं और विशिष्ट मानदंडों के कारण इन राज्यों का चयन किया है. इस योजना में भूजल का दोहन एवं क्षरण, सुस्‍थापित वैधानिक एवं नियामकीय साधन, संस्‍थागत तैयारियां और भूजल के प्रबंधन से संबंधित पहलों को लागू करने से जुड़े अनुभव शामिल हैं.


अटल भुजल योजना का उद्देश्य
अटल भूजल योजना का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से देश के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार करना है. साथ ही किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से भी ये योजना केंद्र सरकार की ओर से लाई गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के उन इलाकों में भूजल के स्तर को ऊपर उठाने का है जिन इलाकों में भूजल का स्तर काफी नीचे चला गया है. इस योजना के तहत किसानों की आय दोगुनी करने में भी सहायता मिलेगी.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को जल्द ही कैट के दायरे में लाया जाएगा: जितेन्द्र सिंह


प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्‍य मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने हाल ही में घोषणा कि केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख को जल्‍दी ही केन्‍द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के दायरे में लाया जाएगा. जितेन्‍द्र सिंह दिल्ली में कैट की अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. जितेंद्र सिंह कैट के नोडल विभाग के प्रभारी भी हैं.

जितेंद्र सिंह ने कहा कि कैट के पास जम्मू और कश्मीर क्षेत्र से संबंधित मामलों और मुद्दों को संभालने का अधिकार क्षेत्र होगा. उन्होंने कहा कि अधिकरण केन्‍द्रशासित प्रदेशों की सेवाओं से संबंधित विवादों और अन्‍य मुद्दों पर सुनवाई करेगा. अभी तक जम्‍मू-कश्‍मीर में कैट का दायरा केवल केन्‍द्रीय सेवाओं से जुड़े मुद्दों तक सीमित था.

जम्मू-कश्मीर में कैट की बेंच

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्‍य मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने बताया कि जम्मू और कश्मीर में कैट की एक विशेष पीठ तैयार की जाएगी. इसके लिए सरकार जल्द ही अपने सदस्यों की नियुक्ति करने जा रही है. चंडीगढ़ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल की बेंच जम्मू और कश्मीर में सेवा विवादों और अन्य मामलों का निपटारा करेगी जब तक कि जम्मू-कश्मीर बेंच का गठन नहीं हो जाता. राज्‍य मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर में कैट की विशेष पीठ गठित की जाएगी.
कैट में 66 सदस्य

जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर कार्रवाई कर रहा है. कैट के अध्यक्ष द्वारा भेजी गई जरूरतों के आधार पर खाली पदों को भरने की दिशा में कार्रवाई जारी है. राज्‍य मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने बताया कि कैट के सदस्यों की संख्या 66 होनी चाहिए. इस समय कई पद खाली होने के कारण फिलहाल सदस्यों की संख्या 39 है. उन्होंने कहा कि सरकार इन खाली पदों को भरने हेतु गंभीरता से काम कर रही है.

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रमुख बेंच दिल्ली में है. कैट में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल हैं. राष्ट्रपति द्वारा इनकी नियुक्ति की जाती है. न्यायिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों से कैट के सदस्यों की नियुक्ति होती है. सेवा की अवधि 6 वर्ष या अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए 65 वर्ष और सदस्यों के लिए 62 वर्ष जो भी पहले हो, तक होती है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या कैट का कोई भी अन्य सदस्य अपने कार्यकाल के बीच में ही अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकता है.


कैट का कार्यप्रणाली

कैट सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की संहिता में निर्धारित प्रक्रिया हेतु बाध्य नहीं है, किन्तु प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है. एक अधिकरण के पास उसी प्रकार की शक्तियां होती हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की संहिता के अंतर्गत एक सिविल कोर्ट के पास होती हैं. कोई व्यक्ति अधिकरण में आवेदन कानूनी सहायता के माध्यम से या फिर खुद हाजिर होकर कर सकता है.

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार ने 05 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया था. केंद्र सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था.

सेना में स्थायी कमीशन क्या होता है, जानिए इसके बारे में सब कुछ


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी 2020 को सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सहमति दे दी है और साथ ही कमांड पोस्‍ट हेतु भी महिलाओं को योग्‍य बताया है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महिलाओं के स्थायी आयोग के केंद्र सरकार के विरोध को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार युद्ध क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमान देने हेतु बाध्य है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सेना में काम रही महिलाओं को तोहफा देते हुए स्थाई कमीशन की घोषणा की थी. इसके माध्यम से महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही देश के लिए सेवा कर सकेंगी.

शॉर्ट सर्विस कमीशन क्या है?
भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है. वे इसके बाद 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती है. उन्हें इस अवधि के बाद रिटायर कर दिया जाता है. हालांकि उन्हें बीस साल तक नौकरी न कर पाने के वजह से रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी नहीं दी जाती है.
भारतीय सेना में शार्ट सर्विस कमीशन के नियम कानून समय-समय पर बदलते रहे. पहले इसके तहत भर्ती महिलाएं मात्र दस साल तक ही नौकरी कर पाती थीं. बाद में सातवें वेतन आयोग में नौकरी की अवधि को बढ़ाकर चौदह साल कर दिया गया था.

क्यों शार्ट सर्विस कमीशन शुरू किया गया?

शार्ट सर्विस कमीशन शुरू करने का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों की कमी से जूझ रही सेना की सहायता करना था. इसके तहत सेना में बीच के स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है.

शार्ट सर्विस कमीशन से नुकसान
महिला अधिकारियों को सेना में शार्ट सर्विस कमीशन के द्वारा चौदह साल की नौकरी करने के बाद सबसे बड़ी समस्या रोजगार मिलने की होती है. इन महिला अधिकारियों को पेंशन भी नहीं मिलती है जिससे इनके सामने आजीविका का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाता है. इसके अतिरिक्त भी कई ऐसी सुविधाएं हैं जो इन्हें नहीं मिलती है.
इस विभाग में महिलाओं को मिलेगा स्थाई कमीशन
महिला अधिकारियों को न्यायाधीश एडवोकेट जनरल, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, सेना शिक्षा कोर, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स तथा इंटेलिजेंस कोर में स्थायी कमीशन दिया जायेगा.

स्थायी कमीशन दिये जाने का अर्थ यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब सेवा-निवृत्ति (रिटायरमेंट) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं. यदि वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा (त्यागपत्र) दे सकती हैं. अब तक शार्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत सेना में जॉब कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का भी विकल्प दिया जायेगा. अब महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के बाद पेंशन की भी हकदार हो जाएंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में सभी सेवारत महिलाओं को दस विभाग में स्थाई कमीशन मिले. चौदह साल तक काम कर चुकी सभी महिलाएं बीस साल तक काम कर सकती हैं. उन्हें रिटायर होने के बाद पेंशन भी दी जाएगी. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15 के अंतर्गत लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की अनुमति दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 02 सितंबर 2011 को ही साफ कर दिया था कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं रहेगी. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के नौ साल बाद फरवरी 2019 में सेना के दस विभागों में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की नीति बनाई, लेकिन साथ ही यह कह दिया कि मार्च 2019 के बाद से सर्विस में आने वाली महिला अफसरों को ही इसका लाभ मिलेगा.

World Cancer Day: विश्व कैंसर दिवस क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

World Cancer Day: विश्व कैंसर दिवस क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

World Cancer Day 2020: विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) प्रत्येक साल 4 फ़रवरी को मनाया जाता है. विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक कार्यक्रम है. यह कार्यक्रम विश्व के लोगों को कैंसर के विरुद्ध लड़ाई लड़ने में एकजुट करने हेतु प्रतिवर्ष मनाया जाता है.
विश्व कैंसर दिवस पर दुनिया भर में इस जानलेवा बीमारी को लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. बॉलीवुड की कई हस्तियां हैं, जिन्होंने कैंसर से जंग लड़ी हैं और जीती भी है. इनमें बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे, मनीषा कोइराला और लीसा रे के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं.

उद्देश्य: इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और रोग का जल्दी पता लगाने की जरूरत तथा कैंसर के उपचार पर ध्यान केंद्रित करना है. इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों को कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु से बचाना भी है.

विश्व कैंसर दिवस 2020 का थीम

विश्व कैंसर दिवस 2020 का थीम- "मैं हूं और मैं रहूंगा" (I am and I will) है. यह विषय कैंसर से लड़ने के लिए हर व्यक्ति के मूल्य पर प्रकाश डालता है. थीम यह भी स्वीकार करता है कि हर किसी में क्षमता है कि वे कैंसर से लड़ सकता है.

विश्व कैंसर दिवस का इतिहास

विश्व कैंसर दिवस की स्थापना अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ (यूआईसीसी) द्वारा की गई थी. यह एक अग्रणीय वैश्विक एनजीओ है. इसका प्राथमिक लक्ष्य साल 2020 तक कैंसर से होने वाली मौतों को कम करना है. अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ (यूआईसीसी) की स्थापना साल 1933 में हुई थी. इस दिवस पर विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कैंसर से बचाव के विभिन्न अभियान चलाये जाते है.

कैंसर क्या है?

शरीर में कोशिकाओं के समूह की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर है. ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती हैं. इससे कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है. कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन यदि कैंसर का सही समय पर पता ना लगाया गया और उसका सही समय पर उपचार नहीं हुआ तो इससे मौत का जोखिम भी बढ़ सकता है.

कैंसर के सामान्य लक्षण:
कैंसर का सामान्य लक्षण वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मुंह से खून आना इत्यादि हैं.

कैंसर से बचने के उपाय:
कैंसर से बचने हेतु तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें. कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहें. चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें तथा अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए. विश्व कैंसर दिवस पर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जाता है. उन्हें इस बीमारी के लक्षण, कारण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी जाती है.
कैंसर के उपचार के दौरान सरकारी सहायता
कैंसर के उपचार के दौरान मरीज कुछ आर्थिक भार कम करने हेतु आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, राष्ट्रीय आरोग्य निधि, स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान, केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) जैसी योजनाओं का फायदा ले सकते हैं.

BAFTA Awards 2020: जॉकिन फोनिक्स बने बेस्ट एक्टर, देखें विजेताओं की पूरी सूची

लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में 02 फरवरी 2020 को 73वें ब्रिटिश एकेडमी फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स अवार्ड्स (बाफ्टा) का आयोजन किया गया. इसमें साल 2019 के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय और विदेशी फिल्मों को सम्मानित किया गया. इसमें सबसे ज्यादा सात अवॉर्ड फिल्म ‘1917’ को मिला है. फिल्म ‘1917’ ब्रिटिश फिल्मकार सैम मैंडेस की वार पर आधारित फिल्म है.

जनवरी में बाफ्टा एवं ‘एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज’ ने नामांकन की घोषणा की थी. ब्रैड पिट ने ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन हॉलीवुड’ के लिए 'बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता' का पुरस्कार जीता. वहीं, 'बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेत्री' पुरस्कार मैरिज स्टोरी के लिए लॉरा डर्न को मिला.

जोकर फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए जॉकिन फोनिक्स को बेस्ट अभिनेता के अवॉर्ड से नवाजा गया. वहीं रेनी जेल्वेगर ने ‘जूडी’ फिल्म के लिये बेस्ट अभिनेत्री का अवॉर्ड अपने नाम किया. रेनी जेल्वेगर को इससे पहले 'कोल्ड माउंटेन' हेतु सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था.
बाफ्टा विजेताओं की पूरी सूची
रेनी जेल्वेगर (जूडी)

बेस्ट एक्टर

बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन

बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन
बेस्ट डाक्यूमेंट्री

वाड अल-काटेब, एडवर्ड वाट्स (समा)

बेस्ट एनिमेटेड फिल्म

बेस्ट कास्टिंग

शायना मार्कोविट्ज (जोकर)
हान जिन वोन, बोंग जून-हो (पैरासाइट)
ब्रिटिश अकादमी फ़िल्म पुरस्कार ब्रिटिश अकादमी ऑफ फिल्म और टेलीविजन आर्ट्स द्वारा प्रदत्त एक वार्षिक पुरस्कार है. इसे बाफ्टा पुरस्कार भी कहा जाता है. यह अमेरिका के ऑस्कर पुरस्कार का समकक्ष है. यह साल 2008 से लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस में आयोजीत होता है.


Rudraksh Tripathi @Rudragofficial

🎯Target With Rudra 🎯📖 आज का विषय 📖 सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) ©️ Rudra Coaching Classes ™️ 👤 Rudra Tripathi ✍️ 📞 9️⃣4️⃣5️⃣3️⃣7️⃣8️⃣9️⃣6️⃣0️⃣8️⃣

सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्य...

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