निपाह वायरस क्या है और कैसे फैलता है?


निपाह वायरस क्या है? सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention, CDC) के अनुसार इस वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था जहां से इसका नाम निपाह वायरस पड़ा. उस वक्त कुछ सुअर के किसानों को मस्तिष्क में बुखार हुआ था इसलिए इस गंभीर बीमारी के वाहक सुअर थे. सिंगापुर में भी इसके बारे में 1999 में पता चला था.
ये सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है. साल 2004 में बांग्लादेश और 2001 में भारत के कुछ लोग सबसे पहले इस वायरस की चपेट में आए थे.

इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है और फिर ये एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता है.

ये वायरस Paramyxoviridae family का सदस्य है जो कि जानवर से फलों में और फलों के जरिए व्यक्तियों में फैलता है और साथ ही ये हेंड्रा वायरस से भी संबंधित है. CDC के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन इंसेफेलाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है.

निपाह वायरस संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअरों या अन्य NiV संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शेन है. मलेशिया और सिंगापुर में, मनुष्य, संक्रमित सुअर के कारण निपाह वायरस इंफेक्शन की चपेट में आए थे.

यहां तक कि खेतों के बीच में भी ये संक्रमण कपड़े, उपकरण, जूते या वाहन आदि के जरिये वायरस ले जाने के कारण भी हो सकता है.
खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्श न की चपेट में जल्दीह आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे.
निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण

- इस संक्रमण के शुरूआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

- बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी और बेहोशी का होना.

- मनुष्यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आ जाती है.


- इससे संक्रमित मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

- संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है और इसके बाद इंसान की मौत भी हो सकती है.

- मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर ये रोग फैला.
इलाज और निपाह वायरस इन्फेक्शन से बचाव के तरीके

चूंकि निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है.

- संक्रमित रोगी से दूर रहें.

- अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें.

- यदि आप किसी संक्रमित क्षेत्र में और उसके आस-पास अस्वस्थ महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

नोट: निपाह वायरस के कारण होने वाला इन्फेक्शन एक उभरती हुई बीमारी है और अब तक इस बीमारी के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इसलिए, हमें बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित सावधानी बरतनी चाहिए.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

тнαηкѕ ƒσя ѕυρρσят υѕ ραη∂ιт ѕнуαм ηαяαуαη тяιραтнι @яυ∂яαgσƒƒι¢ιαℓ
яυ∂яαкѕн ѕαη∂ιℓуα
9453789608
ραη∂ιт ѕнуαм ηαяαуαη тяιραтнι ѕαη∂ιℓуα

Rudraksh Tripathi @Rudragofficial

🎯Target With Rudra 🎯📖 आज का विषय 📖 सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) ©️ Rudra Coaching Classes ™️ 👤 Rudra Tripathi ✍️ 📞 9️⃣4️⃣5️⃣3️⃣7️⃣8️⃣9️⃣6️⃣0️⃣8️⃣

सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्य...

@Rudragofficial