सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी 2020 को सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सहमति दे दी है और साथ ही कमांड पोस्ट हेतु भी महिलाओं को योग्य बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महिलाओं के स्थायी आयोग के केंद्र सरकार के विरोध को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार युद्ध क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमान देने हेतु बाध्य है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सेना में काम रही महिलाओं को तोहफा देते हुए स्थाई कमीशन की घोषणा की थी. इसके माध्यम से महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही देश के लिए सेवा कर सकेंगी.
शॉर्ट सर्विस कमीशन क्या है?
भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है. वे इसके बाद 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती है. उन्हें इस अवधि के बाद रिटायर कर दिया जाता है. हालांकि उन्हें बीस साल तक नौकरी न कर पाने के वजह से रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी नहीं दी जाती है.
भारतीय सेना में शार्ट सर्विस कमीशन के नियम कानून समय-समय पर बदलते रहे. पहले इसके तहत भर्ती महिलाएं मात्र दस साल तक ही नौकरी कर पाती थीं. बाद में सातवें वेतन आयोग में नौकरी की अवधि को बढ़ाकर चौदह साल कर दिया गया था.
क्यों शार्ट सर्विस कमीशन शुरू किया गया?
शार्ट सर्विस कमीशन शुरू करने का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों की कमी से जूझ रही सेना की सहायता करना था. इसके तहत सेना में बीच के स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है.
शार्ट सर्विस कमीशन से नुकसान
महिला अधिकारियों को सेना में शार्ट सर्विस कमीशन के द्वारा चौदह साल की नौकरी करने के बाद सबसे बड़ी समस्या रोजगार मिलने की होती है. इन महिला अधिकारियों को पेंशन भी नहीं मिलती है जिससे इनके सामने आजीविका का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाता है. इसके अतिरिक्त भी कई ऐसी सुविधाएं हैं जो इन्हें नहीं मिलती है.
इस विभाग में महिलाओं को मिलेगा स्थाई कमीशन
महिला अधिकारियों को न्यायाधीश एडवोकेट जनरल, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, सेना शिक्षा कोर, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स तथा इंटेलिजेंस कोर में स्थायी कमीशन दिया जायेगा.
स्थायी कमीशन दिये जाने का अर्थ यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब सेवा-निवृत्ति (रिटायरमेंट) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं. यदि वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा (त्यागपत्र) दे सकती हैं. अब तक शार्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत सेना में जॉब कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का भी विकल्प दिया जायेगा. अब महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के बाद पेंशन की भी हकदार हो जाएंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में सभी सेवारत महिलाओं को दस विभाग में स्थाई कमीशन मिले. चौदह साल तक काम कर चुकी सभी महिलाएं बीस साल तक काम कर सकती हैं. उन्हें रिटायर होने के बाद पेंशन भी दी जाएगी. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15 के अंतर्गत लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की अनुमति दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 02 सितंबर 2011 को ही साफ कर दिया था कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं रहेगी. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के नौ साल बाद फरवरी 2019 में सेना के दस विभागों में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की नीति बनाई, लेकिन साथ ही यह कह दिया कि मार्च 2019 के बाद से सर्विस में आने वाली महिला अफसरों को ही इसका लाभ मिलेगा.
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