रसायन विज्ञान (CHEMISTORY)

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*रसायन विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है; जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संघटन, संरचना तथा उसमे होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है |
*लैवासिए को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है |
*द्रव्य सूक्ष्म (छोटे-छोटे) कणों से मिलकर बना है, जिन्हे अणु कहते हैं, अणु परमाणुओं से मिलकर बनते हैं तथा स्वतंत्र अवस्था मे रह सकते हैं |
*अणु सदैव गतिशील अवस्था में रहते हैं अर्थात् इनमें गतिज ऊर्जा होती है ताप बढाने से इनकी औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है |
*कणों की गति को ब्राउनी गति कहते हैं | 
*संघनन : किसी पदार्थ के वाष्प से द्रव अवस्था में परिवर्तन होने की क्रिया को संघनन कहते हैं |
*ऊर्ध्वपातन : कुछ पदार्थ जैसे आयोडीन, कपूर, अमोनिया, क्लोराइड या नौसादर आदि साधारण ताप पर ही ठोस अवस्था से सीधे वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं |
*तत्व वे मूल पदार्थ हैं जिनमे एक ही प्रकार के परमाणु होते हैं | वर्तमान मे 117 तत्व ज्ञात हैं |  
*हीरा तथा ग्रेफाइट भी तत्व हैं, ये दोनों कार्बन के अपरूप हैं |
*तत्व द्रव्य की ठोस,द्रव तथा गैस तीनों अवस्थाओं में पाये जाते हैं |
उदाहरण : सोडियम तथा कार्बन तत्व ठोस हैं, पारा और ब्रोमीन द्रव हैं, हाइड्रोजन और आक्सीजन गैस हैं |
*पारा ही केवल ऐसा धात्वीय तत्व है जो साधारण ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है |
*हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्व है जिसका प्रमाणु क्रमांक 1 है | 
*जल तीनों भौतिक अवस्थाओं में रह सकता है |
*जल (H2O) एक यौगिक है | यह हाइड्रोजन तथा आक्सीजन के द्रव्यमान के अनुसार 1 : 8 के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बना है | अथवा जल मे परमाणु- क्रमांक 1 तथा 8 के परमाणु संख्या के अनुसार निश्चित अनुपात 2 : 1 मे पाये जाते हैं |
*कार्बन डाई आक्साइड का अणु- सूत्र CO2 है, यह एक यौगिक है |
*साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड) भी एक यौगिक है | यह सोडियम और क्लोरीन के एक-एक परमाणु के परस्पर संयोग से बना है | इसका अणु-सूत्र NaCl है
*वायु आक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई आक्साइड, आर्गन,तथा जल वाष्प इत्यादि का मिश्रण है |
*बारूद पोटैशियम नाइट्रेट (शोरा), गंधक तथा चारकोल का मिश्रण है |
*पीतल तांबे (कापर) और जस्ते (जिंक) का मिश्रण है |
*पारा द्रव धातु एवं तत्व तीनों है |
*ढला हुआ लोहा, बर्फ, एण्टीमनी, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं |  
*सांचे में केवल वे पदार्थ ढाले जा सकते हैं जो ठोस बनने पर आयतन मे बढ़ते हैं, क्योंकि तभी वे सांचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं |
*चांदी एवं सोने की मुद्राएं ढाली नहीं जाती,केवल मुहर लगाकर बनाती हैं |
*मिश्र धातुओं का द्रवणांक उन्हे बनाने वाले पदर्थों के गलनांक से कम होता है, क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने से पदार्थ का गलनांक घट जाता है |
*क्वथनांक जितना कम होगा, वाष्पन की क्रिया उतनी ही अधिक तेजी के साथ होगी |
*द्रव के पृष्ठ पर वायु का दाब जितना ही कम होगा वाष्पन उतनी ही तेजी के साथ होगा |
*वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव उबलकर द्रव अवस्था से वाष्प की अवस्था में परिवर्तित हो जाए तो वह नियत ताप द्रव का क्वथनांक कहलाता है |
*दाब बढ़ाने पर द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है,तथा दाब घटाने से द्रव का क्वथनांक घट जाता है |
*परमाणु : यह तत्व का वह छोटा से छोटा कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे भाग ले सकता है परंतु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है |
*अणु : तत्व तथा यौगिक का वह छोटा से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था मे रह सकता है, अणु कहालाता है |
*परमाणु भार : यह प्रदर्शित करता है कि तत्व का एक परमाणु कार्बन-12 के परमाणु के 1/12 भाग द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग द्रव्यमान से कितना गुना भारी है |
*परमाणु क्रमांक : किसी तत्व के परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं |
*द्रव्यमान संख्या : किसी परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों एवं न्यूट्रानों की संख्याओं का योग उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहती हैं  |
*आधुनिक परमाणु सिद्धांत के अनुसार परमाणु विभाज्य है, यह तीन प्रकार के मूल कणों इलेक्ट्रान, प्रोटान तथा न्यूट्रान से मिलकर बनता है| परमाणु को इन कणों मे विभाजित किया जा सकता है |
*हीलियम एक निष्क्रिय तत्व है |
*इलेक्ट्रान : यह परमाणु का सबसे हल्का अवयवी कण है, जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1/1840 होता है, यह ऋण आवेश वाला होता है | इसका आवेश -1.6x10-19 कूलाम होता है, जो प्रकृति मे उपलब्ध सबसे कम आवेश है | 
*प्रोटान : यह धन आवेशित कण होता है, जिसका आवेश +1.6x10-19 कूलाम होता है | प्रोटान का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है |
*न्यूट्रान : इसका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान के लगभग बराबर (कुछ ही अधिक) होता है | यह उदासीन कण है, अर्थात इसका विद्युत आवेश शून्य होता है |
*परमाणु का धन आवेशित भाग उसके केंद्र मे अत्यंत सूक्ष्म स्थान मे होता है, तथा परमाणु का द्रव्यमान भी इसी केंद्रीय भाग मे निहित होता है, जिसे नाभिक कहते हैं |
*नाभिक की संरचना : नाभिक की रचना प्रोटान तथा न्यूट्रान से होती है | नाभिक का द्रव्यमान प्रोटान तथा न्यूट्रान पर निर्भर करता है, जबकि नाभिक का धनावेश केवल प्रोट्रानों के कारण होता है | नाभिक मे उपस्थित सभी मूल कणों को न्यूक्लिआन कहते हैं |
*किसी तत्व के परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या को उस तत्व का परमाणु क्रमांक कहते हैं | किसी तत्व के गुण धर्म उसके परमाणु क्रमांक पर ही निर्भर करता है |
*परमाणु क्रमांक (Z)=नाभिक पर धन आवेशित इकाइयों की संख्या
                          =नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या
                          =कक्षा मे उपस्थित इलेक्ट्रानों की संख्या 
*किसी तत्व के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों एवं न्यूट्रानों की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते हैं |
*द्रव्यमान संख्या तत्व का मौलिक गुण नही होता है | एक ही तत्व के भिन्न भिन्न परमाणुओं की द्रव्यमान संख्याएं भिन्न भिन्न हो सकती है जिन्हे समस्थानिक कहते हैं, तथा भिन्न भिन्न तत्वों के परमाणुओं की द्रव्यमान संख्याएं समान हो सकती हैं जिन्हे समभारी कहते हैं |
*परमाणु सामान्य अवस्था मे विद्युत- उदासीन होता है अत: परमाणु मे धनावेश एवं ऋणावेश की मात्राएं समान होती हैं,
अर्थात् परमाणु क्रमांक (Z) = प्रोटानों की संख्या = इलेक्ट्रानों की संख्या
*बोर का परमाणु माडल : बोर के परमाणु रचना के अनुसार इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर कुछ निश्चित कक्षाओं में ही परिक्रमा कर सकते हैं; जिन्हे स्थाई कक्षा कहते हैं | नाभिक से प्रारम्भ करके इन कक्षाओं (ऊर्जा स्तरों) को 1,2,3,4.....आदि अंको अथवा K,L,M,N….. आदि अक्षरों से प्रदर्शित करते हैं | 1,2,3,4.... आदि अंको को कक्षा की मुख्य क्वांटम संख्या कहते है और इसे n से निरूपित करते हैं | पहली कक्षा मे परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रानों की ऊर्जा सबसे कम होती है |  
*परमाणु वितरण की बोर-बरी योजना :
1.किसी कोश मे इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या 2n2 हो सकती है |
2.परमाणु के बह्यतम कोश मे अधिक से अधिक 8 इलेक्ट्रान रह सकते हैं |
3.बाह्यतम कोश मे 8 इलेक्ट्रान हो जाने के बाद अगला इलेक्ट्रान नये कोश मे प्रवेश करता है |
4.बाह्यतम कोश मे 2 से अधिक तथा उसके पहले वाले कोश मे 9 से अधिक इलेक्ट्रान तब तक नहीं हो सकते जब तक कि इससे भी पहले वाले कोश मे नियम 1 तथा नियम 2 के अनुसार अधिकतम इलेक्ट्रान पूरे न हो जायें |
*रेडियो ऐक्टिवता की खोज हेनरी बेकरेल ने की |
*प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले रेडियोऐक्टिव तत्व वे हैं जिनका परमाणु क्रमांक 83 से अधिक (वर्तमान मे 84 से 92) हैं | इनमे पोलोनियम (84), रेडान (86), रेडियम (88), थोरियम (90) तथा यूरेनियम (92) प्रमुख हैं |
*अल्फा किरणें धनावेशित, बीटा किरणें ऋण आवेशित, एवं गामा किरणें उदासीन होती हैं
*आइरीन क्यूरी तथा उनके पति जोलियो क्यूरी ने कृत्रिम रेडियो ऐक्टिवता की खोज की |
*गामा किरणों की बेधन क्षमता बहुत अधिक होती है, यह बीटा कणों की अपेक्षा 100 गुना तथा अल्फा कणों की अपेक्षा 10000 गुनी होती है | 
*गामा किरणों की वेधन क्षमता x किरणों की बेधन क्षमता से भी अधिक होती है | गामा किरणें लोहे की 30 सेमी मोटाई तक को पार कर सकती हैं |
*गैसों के आयनन की क्षमता अल्फा कणों मे सबसे अधिक तथा गामा कणों मे सबसे कम होती है |
*अल्फा किरणों की चाल सबसे कम तथा गामा किरणों की चाल सबसे अधिक लगभग प्रकाश के चाल के बराबर होती है |
*गामा किरणें उच्च ऊर्जायुक्त विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं |
*रेडियोऐक्टिव विघटन मे नाभिक एक बार मे अल्फा या बीटा कण तथा गामा फोटान का उत्सर्जन करता है |
*रेडियोऐक्टिवता से नाभिक का परमाणु क्रमांक एवं द्रव्यमान बदल जाता है |
*किसी तत्व का प्रतीक उस तत्व के परमाणु को प्रदर्शित करता है |
कुछ प्रमुख यौगिक सूत्र :
जल
H2O
कार्बन-डाई-आक्साइड
CO2
सल्फर-डाई-आक्साइड
SO2
सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक)
NaCl
कार्बोनिक अम्ल
H2CO3
सल्फ्यूरिक अम्ल (गंधक अम्ल)
H2SO4
कास्टिक सोडा
NaOH
पोटैशियम नाइट्रेट (शोरा)
KNO3
पोटैशियम परमैंगनेट (लाल दवा)
KMnO4
कैल्शियम हाइड्राक्साइड (बुझा चूना)
Ca(OH)2
कैल्शियम कार्बोनेट (खडिया)
CaCO3
अमोनिया
NH3
अमोनिया क्लोराइड (नौसादर)
NH4Cl
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (नमक का अम्ल)
HCl
नाइट्रिक अम्ल (शोरे का अम्ल)
HNO3
सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा)
Na2CO3
सोडियम बाई कार्बोनेट (खाने का सोडा)
NaHCO3
सिल्वर नाइट्रेट
AgNO3
कापर सल्फेट (तुतिया)
CuSO4
फिटकरी या पोटैशियम ऐलुमिनियम सल्फेट
K2SO4.Al(SO4)3.H2O
एसिटिक एसिड
CH3COOH
मेथेन
CH4
एथिलीन अथवा एथीन
C2H4

*जल के एक अणु मे हाइड्रोजन के दो परमाणु और आक्सीजन का एक परमाणु उपस्थित होता है |
*जल मे द्रव्यमान के अनुसार 2 भाग हाइड्रोजन, 16 भाग आक्सीजन के साथ संयुक्त होता है |
*किसी तत्व का एक परमाणु हाइड्रोजन के जितने परमाणुओं से संयोग करता है, वह उस तत्व की संयोजकता कहलाती है |
*नाइट्रोजन गैस तथा हाइड्रोजन गैस संयोग करके अमोनिया गैस बनाती हैं |
*किण्वन : विशेष प्रकार के सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति मे कई कार्बनिक यौगिक नये यौगिकों मे परिवर्तित हो जाते हैं; इस क्रिया को किण्वन कहते हैं | उदाहरण : 1.दूध का खट्टा होना, 2.सिरका का बनना, 3.दूध से दही का बनना, 4.दही से दुर्गंध का आना, 5.मृत अवशेषों का सड़ना |
*भौतिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमे पदार्थ के भौतिक गुण जैसे- रंग, रूप, अवस्था और घनत्व आदि बदल जाते हैं, किंतु पदार्थ के द्रव्यमान, संघटन एवं आणविक संरचना मे कोई परिवर्तन नहीं होता उसे भौतिक परिवर्तन कहते हैं | इसमे अणुओं की व्यवस्था बदल जाती है | 
*रासायनिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के रासायनिक संघटन एवं आणविक संरचना में परिवर्तन हो जाने के कारण उसके भौतिक और रासायनिक गुणों मे परिवर्तन हो जाता है, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है |
*जिन तत्वों के परमाणुओं के अंतिम कोश मे इलेक्ट्रानों की संख्या 8 होती है उनके इलेक्ट्रानिक विन्यास को स्थाई इलेक्ट्रानिक विन्यास कहते हैं |
*हीलियम को छोड़ कर अन्य सभी अक्रिय गैसों की बाह्यतम् कक्षा में 8 इलेक्ट्रान होते हैं | हीलियम मे इलेक्ट्रानों की संख्या 2 होती है |
*किसी परमाणु का प्रतीक X है, इसके द्वारा 2 इलेक्ट्रान ग्रहण किये जाने पर बना आयन X2-  होगा |
*धनायन इलेक्ट्रान त्यागने से बनता है, तथा ऋणायन इलेक्ट्रान ग्रहण करने से बनता है |
*सह-संयोजक बंध इलेक्ट्रानों के साझा द्वारा बनता है |
*रासायनिक अभिक्रियाओं मे समस्त अभिकर्मकों का सम्पूर्ण द्रव्यमान, समस्त उत्पादों के सम्पूर्ण द्रव्यमान के बराबर होता है | अर्थात किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे द्रव्यमान का क्षरण नही होता है |
*किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे पदार्थ न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है, इसे ही द्रव्य संरक्षण या द्रव्य की अविनाशिता का नियम कहते हैं |
*किसी भी पदार्थ के एक ग्राम अणु में अणुओं की संख्या समान होती है, इस संख्या को आवेगाद्रो संख्या कहते हैं |
*मोल पदार्थ की मात्रा का एस. आई. मात्रक है |
*क्षारकता अम्ल का गुण होता है |
*अम्लता क्षारक का गुण होता है |
*किसी घोल का PH मान 7 से कम हो तो वह अम्लीय होता है |
*किसी घोल का PH मान 7 से अधिक हो तो वह क्षारीय होता है |
*किसी घोल का PH मान 7 के बराबर या शून्य हो तो वह उदासीन होता है |
*वर्षा के जल का PH मान 5.6 से कम हो जाता  है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है |
*लिटमस पेपर अम्लीय विलयन में नीला तथा क्षारीय विलयन में लाल हो जाता है |
*खाना पचाने मे HCL अम्ल का उपयोग होता है |
*नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग सोना एवं चांदी के शुद्धीकरण मे होता है |
*कपडे से जंग के धब्बे हटाने के लिये आक्जैलिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है |
*वैसा भस्म जो जल मे विलेय हो क्षार कहलाता है |
*खाने का सोडा या सोडियम बाई-कार्बोनेट पेट की अम्लीयता को दूर करने मे एवं अग्नि शामक यंत्रों मे प्रयोग किया जाता है |
*पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग बारूद बनाने में होता है |
*कैल्शियम हाइड्रोआक्साइड का उपयोग : 1.घरों मे चूना पोतने में, 2.गारा एवं प्लास्टर बनाने में, 3.ब्लिचिंग पाउडर बनाने में, 4.चमडा के उपर बाल साफ करने में, 5.जल को मृदु बनाने में, 6.अम्ल से जलने पर मरहम पट्टी करने में |
*कास्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रोआक्साइड का उपयोग : 1.साबुन बनाने में, 2.पेट्रोलियम साफ करने में, 3.दवा बनाने में, 4.कपडा एवं कागज बनाने में, 5.कारखानों को साफ करने में |
*सल्फर डाईआक्साइड का उपयोग :1.बर्फ बनाने में, 2.प्रशीतक के रूप में, 3.ऊन, रेशम आदि के रंग उड़ाने में, 4.चीनी को रंग हीन एवं शुद्ध करने मे किया जाता है |
*अमोनिया का उपयोग : 1.ऊर्वरक बनाने में, 2.अश्रु गैस बनाने में, 3.विस्फोटक बनाने में, 4.कृत्रिम रेशम बनाने में |
*बेकिंग सोडा (खाने का सोडा)या सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग : 1.अग्नि शामक यंत्रों मे, 2.बेकरी उद्योगों में, 3.प्रतिकारक के रूप में, 4.सोडा वाटर बनाने में, 5.शीतल पेय बनाने में, 6.डबल रोटी बनाने में |
*नौसादर या अमोनियम क्लोराइड का उपयोग : 1.रंगाई तथा प्रिंटिंग में, 2.ऊर्वरक तथा अमोनिया के निर्माण में, 3.औषधि निर्माण में |
*पोटाश फिटकरी या पोटैशियम ऐलुमिनियम सल्फेट का उपयोग : 1.जल को शुद्ध करने में, 2.कपडे की रंगाई में, 3.चमडा उद्योग में, 4.दाढी बनाने के बाद कटे स्थान पर रूधिर रोकने में, 5.जीवाणु नाशक तथा आंख की दवा बनाने में
*मेथेन का उपयोग : 1.क्लोरोफार्म बनाने में, 2.टायर एवं पेंट के निर्माण में होता है |
*एथिलीन अथवा एथीन का उपयोग : 1.मस्टर्ड गैस बनाने में, 2.निश्चेतक के रूप में, 3.कच्चे फलों को पकाने तथा उनके संरक्षण में, 4.संश्लेषित रबड़ तथा पालीथीन बनाने में होता है |
*आयोडीन का उपयोग : 1.किटाणु नाशक के रूप में, 2.औषधि उत्पादन के में, 3.रंग उद्योग में |
*सल्फर का उपयोग : 1.किटाणु नाशक के रूप में, 2.बारूद बनाने में, 3.औषधि के रूप में |
*फास्फोरस का उपयोग :1.लाल फास्फोरस का उपयोग दियासलाई बनाने में, 2.श्वेत फास्फोरस का उपयोग चूहा मारने की दवा बनाने में होता है |
*प्रोड्यूसर गैस का उपयोग : 1.भट्ठी गर्म करने में, 2.सस्ते ईंधन के रूप में, 3.धातु निष्कर्षण में |
*वाटर गैस का उपयोग : 1.ईंधन के रूप में, 2.वेल्डिंग के कार्य में |
*कोल गैस का उपयोग : 1.ईंधन के रूप में, 2.निष्क्रिय वातावरण तैयार करने में |
*कार्बन डाई-आक्साइड का उपयोग : 1.सोडा वाटर बनाने में, 2.आग बुझाने में, 3.हार्ड स्टील के निर्माण में |
*ग्रेफाइट का उपयोग : 1.इलेक्ट्रोड बनाने में, 2.स्टोव की रंगाई में, 3.लोहे से बने पदार्थ पर पालिश में |
*हीरा का उपयोग : 1.आभूषण निर्माण में, 2.कांच काटने में |
*एल्युमिनियम सल्फेट का उपयोग :1.कागज उद्योग में, 2.कपडों की छपाई में, 3.आग बुझाने में |
*मरकरी का उपयोग : 1.थर्मामीटर बनाने में, 2.सिंदूर बनाने में |
*ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग : 1.कीटनाशक के रूप में, 2.कागज तथा कपडों के विरंजन में, 3.क्लोरोफार्म के उत्पादन में |
*कैल्शियम कार्बोनेट का उपयोग : 1.चूना बनाने में, 2.टूटपेस्ट बनाने में, 3.सीमेंट बनाने में |
*कॉपर का उपयोग : 1.बिजली के तार बनाने में, 2.बर्तन बनाने में |
*भारी जल का उपयोग न्यूक्लीयर प्रतिक्रियाओं मे होता है |
*हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया के उत्पादन मे होता है |
*द्रव हाइड्रोजन का उपयोग राकेट ईंधन मे होता है |
*पोटैशियम परमैग्नेट का उपयोग जल को कीटाणु रहित करने में किया जाता है | इसे लाल दवा के नाम से भी जाना जाता है |
*मग्नीज स्पात का उपयोग हेलमेट तथा अभेद्य तिजोरी बनाने मे किया जाता है
*कोबाल्ट स्पात का प्रयोग चुम्बक बनाने में किया जाता है |
*ओजोन आक्सीजन का एक अपरूप है, यह सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों को कम करती है |
*नाइट्रोजन का उपयोग वहां करते हैं जहां किसी निष्क्रिय गैस की आवश्यकता होती है |
*द्रव नाइट्रोजन का उपयोग जैव पदार्थों के लिए प्रशीतक के रूप में, भोज्य पदार्थों को जमाने एवं निम्न ताप पर शल्य चिकित्सा के लिए किया जाता है |
*दलहनी पौधों की जड़ों मे राइजोबियम नामक जीवाणु पाए जाते हैं, जो नाइट्रोजन स्थिरिकरण में भाग लेते हैं |
*फास्फोरस प्राणी तथा बनस्पति पदार्थों का आवश्यक अवयव है, यह हड्डियों तथा जीव कोशिकाओं (DNA)में उपस्थित होता है |
*भारी जल 3.8 अंश सेल्सियस पर जमता है |
*अस्थायी कठोरता : जल की अस्थायी कठोरता उसमे कैल्शियम और मैग्निशियम के बाई कार्बोनेट घुले रहने के कारण होता है | इस कठोरता को जल को उबालकर एवं बूझा चूना अथवा दुधिया डालकर दूर किया जा सकता है |
*स्थायी कठोरता : जल की स्थाई कठोरता उसमे कैल्शियम और मैग्निशियम के सल्फेट, क्लोराइट, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले होने के कारण होती है | जल की स्थायी कठोरता को दूर करने की मुख्य विधि परम्यूटिट विधि है | जल मे सोडियम कार्बोनेट डालकर उबालने से स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है |
*दलदलों से निकलने वाली गैस को मीथेन या मार्श गैस कहते हैं |
*धातु को धन विद्युती तत्व कहते हैं | उदाहरण: सोना,चांदी, तांबा, सोडियम, पोटैशियम, पारा इत्यादि |
*अधातु को ऋण विद्युती तत्व भी कहते हैं | उदाहरण: गंधक, कार्बन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, फास्फोरस इत्यादि |
*अयस्क मे मिले अशुद्ध पदार्थ को गैंग कहते है |
*लोहे मे जंग लगना रासायनिक परिवर्तन का उदाहरण है |
*जंग लगने से लोहे का भार बढ़ जाता है  | लोहे मे जंग लगने से बना पदार्थ फेरिसोफेरिक आक्साइड होता है |
*टंगस्टन तंतु के उपचयन को रोकने के लिए विजली  के बल्ब से हवा निकाल दी जाती है
*प्लेटिनम सबसे कठोर धातु है |
*चांदी एवं तांबा विद्युत धारा का सर्वोत्तम चालक हैं |
*सोडियम पराक्साइड का उपयोग पनडुब्बी जहाजों तथा अस्पतालों आदि की बंद हवा को शुद्ध करने मे होता है |
*कैडमियम का प्रयोग नाभिकीय रिएक्टरों मे न्यूट्रान मंदक के रूप मे, संग्राहक बैट्रीयों मे तथा निम्न गलनांक की मिश्र धातु बनाने में होता है |
*गैलियम धातु कमरे के ताप पर द्रव अवस्था मे होता है |
*नाइक्रोम; निकिल, क्रोमियम और आयरन का मिश्र धातु है | 
*फ्लैश बल्बों में नाइट्रोजन गैस के वायु मण्डल मे मैग्निशियम का तार रखा होता है |
*पिटवा लोहा में कार्बन की मात्रा सबसे कम होती है, अत: यह अपेक्षाकृत शुद्ध होता है |
*मानव शरीर में तांबा की मात्रा मे वृद्धि होने विल्सन नामक रोग हो जाता है |
*सिल्वर आयोडाइड का उपयोग कृत्रिम वर्षा कराने मे होता है |
*सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने मे होता है | मतदान के समय इसी से निशान लगाया जाता है |
*सिल्वर ब्रोमाइट का प्रयोग फोटोग्राफी मे होता है |
*प्लेटिनम को सफेद सोना कहा जाता है |
*ट्यूबलाइट मे समान्यत: पारा का वाष्प और आर्गन गैस भरी रहती है |
*विद्युत उपकरणों मे प्रयुक्त होने वाला फ्यूज तार लेड और टिन से बना मिश्र धातु होता है |
*प्लूटोनियम एक भारी रेडियोसक्रिय धातु है, इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है | हिरोशिमा एवं नागासाकी पर गिराये गए बम इसी के बने थे |
*अधातुएं सामान्यत: उष्मा का एवं विद्युत का कुचालक होती हैं,इसका अपवाद ग्रेफाइट है |
*हीरा के प्रमुख गुण : 1.यह ताप एवं विद्युत का कुचालक होता है | 2.यह सबसे ठोस पदार्थ है, इस पर अम्ल एवं क्षार का प्रभाव नही पड़ता है | 3.इसका अपवर्तनांक 2.417 होता है, अत: यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण बहुत अधिक चमकता है | इस पर रेडियम से निकलने वाली X किरणों के पड़ने पर यह हरा रंग प्रदर्शित करता है | 4.शुद्ध हीरा पारदर्शक एवं रंगहीन होता है | 5.कुछ हीरे काले होते हैं; जिन्हे बोर्ट कहते हैं, इसका प्रयोग शीशा काटने मे किया जाता है |
*ग्रेफ़ाइट के गुण : 1.यह विद्युत का सुचालक होता है | 2.इसे काला शीशा भी कहते हैं | 3.इसका उपयोग पेंसिल बनाने, परमाणु भट्ठी में इलेक्ट्रोड के रूप में एवं कार्बन पेपर बनाने मे किया जाता है |
*थर्मोप्लास्टिक : यह गर्म करने पर मुलायम तथा ठण्डा करने पर कठोर हो जाता है | यह गुण इसमे सदैव रहता है | उदाहरण : पालीथीन, नायलान, पालीवाइनिल क्लोराइड आदि |
*थर्मोसेटिंग प्लास्टिक : इसे पहली बार गर्म करने पर मुलायम हो जाता है; लेकिन पुन: गर्म करने पर मुलायम नहीं होता है | उदाहरण : बैकेलाइट तथा मेलामाइन |
*प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक होता है | यह थर्मो प्लास्टिक होता है |
*रबर आसानी से कार्बन डाई आक्साइड मे घुल जाता है |
*प्राकृतिक रबर काफी मुलायम होता है, इसे कठोर बनाने के लिये इसमे कार्बन मिलाया जाता है |
*थाइकाल रबर को आक्सीजन मुक्त करने वाले रसायनों के साथ मिलाकर राकेट इंजनों मे ठोस ईंधन के रूप मे प्रयोग किया जाता है
*नायलान : यह छोटे कार्बनिक अणुओं के बहुलीकरण द्वारा बनाया जाता है | यह पाली एमाइड रेशे का उदाहरण है | इसका उपयोग जाल बनाने, पैराशूट के कपड़े, टायर, दांत का ब्रश, पर्वतारोहण के लिए रस्सी आदि बनाने में किया जाता है |
*रेयान : सेल्युलोज से बने कृत्रिम रेशों को रेयान कहते हैं | इसका उपयोग कपड़ा बनाने, कालीन बनाने में किया जाता है |
*पालिस्टर का उपयोग उपयोग कपड़े के रूप मे, अग्नि शमन के हौज, पाइप आदि बनाने मे किया जाता है |
*किसी भी ईंधन का उष्मीय मान अधिक होना चाहिए | ईंधन का उष्मीय मान उसकी कोटी का निर्धारण करता है |
*सभी ईंधनों मे हाइड्रोजन का उष्मीय मान सबसे अधिक होता है, परंतु सुरक्षित भण्डारण की सुविधा नहीं होने के कारण इसका उपयोग नही किया जाता है |
*हाइड्रोजन का उपयोग राकेट ईंधन के रूप मे तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वलकों मे किया जाता है |
*हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहा जाता है |
*किसी ईंधन की आक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है,उसका अवस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाताहै |
*पीट कोयला : इसमे कार्बन की मात्रा 50% से 60% होती है | इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआं निकलता है | यह सबसे निम्न कोटि का कोयला होता है |
*लिग्नाइट कोयला : इसमे कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है | इसका रंग भूरा होता है | इसमे जल वाष्प की मात्रा अधिक होती है |
*बिटुमिनस कोयला : इसमे कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है | इसको मुलायम कोयला भी कहा जाता है | इसका उपयोग घरेलू कार्यों में किया जाता है
*एंथ्रासाइट कोयला : यह सबसे उच्च कोटी का कोयला होता है | इसमे कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक होती है |
*प्राकृतिक गैस : यह पेट्रोलियम कुआं से निकलती है | इसमें 95% हाइड्रो कार्बन होता है, जिसमे 80% मेथेन रहता है | प्राकृतिक गैस का उपयोग रसोई गैस के रूप मे किया जाता है | घरों मे प्रयुक्त होने वाली प्राकृतिक गैस को एल.पी.जी.कहते हैं | यह ब्यूटेन एवं प्रोपेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाब पर द्रवित कर सिलिण्डरों मे भरा जाता है |
*एल.पी.जी.अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अत: इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिये इसमें सल्फर के यौगिक (मिथाइल मरकाप्टेन) को मिला दिया जाता है ताकि इसके रिसाव को इसके गंध से पहचाना जा सके |
*गोबर गैस में मिथेन की मात्रा होती है |
*प्रोड्यूसर गैस को लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है | कांच एवं स्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप मे किया जाता है |
*जल गैस का उपयोग हाइड्रोजन एवं एल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है
*कोल गैस को कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है | यह वायु के साथ विस्फ़ोटक मिश्रण बनाती है |
*एल्कोहल को जब पेट्रोल के साथ मिला दिया जाता है तो उसे पावर अल्कोहल कहते हैं, जो ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत है |
*मेंडलीफ का आवर्त नियम : तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं,यह मेंडलीफ का आवर्त नियम है | मेंडलीफ की आवर्त सारणी मे सात आवर्त तथा नौ समूह हैं | आवर्त सारणी के दूसरे और तीसरे लघु आवर्त में आठ-आठ तत्व होते हैं | इन्हे प्रारूपिक तत्व कहते हैं |
*मेंडलीफ के अनुसार यदि तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित किया जाये तो निश्चित एवं समान अंतरालों के बाद लगभग समान गुण वाले तत्व पाये जाते हैं |
*मेंडलीफ के आवर्त सारणी के दोष : 1.तत्वों का क्रम बढ़ते परमाणु भार के अनुसार न होना | 2.समस्थानिकों का स्थान | 3.हाइड्रोजन का द्वैध व्यवहार | 4.असमान तत्वों का एक ही वर्ग मे रखना | 5.अक्रिय गैसों को सारणी में कोई स्थान न होना |
*आधुनिक आवर्त सारणी : मेंडलीफ की आवर्त सारणी मे संशोधन कर मोजले ने आधुनिक आवर्त सारणी का निर्माण किया | आधुनिक आवर्त सारणी के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलक होते हैं | आधुनिक आवर्त सारणी में सात क्षैतिज पंक्ति तथा अट्ठारह ऊर्ध्वाधर कालम होते हैं |
*आधुनिक आवर्त सारणी मे अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, निआन, आर्गन का एक नया वर्ग (शून्य वर्ग) जोड़ा गया |
*पहले आवर्त में केवल दो तत्व हैं, इस लिए इसे अति लघु आवर्त कहते हैं | इसमें सिर्फ हाइड्रोजन तथा हीलियम हैं |
*आवर्त दो एवं तीन में आठ-आठ तत्व हैं, तथा इसे लघु आवर्त कहते हैं |
*चौथे एवं पांचवें आवर्त मे 18 -18 तत्व हैं, इसलिए इसे दीर्घ आवर्त कहते हैं | 
*छठे एवं सातवें आवर्त में 32 – 32 तत्व हो सकते हैं |
*प्रत्येक दीर्घ आवर्त में प्रथम आठ तत्वों को सामान्य तत्व तथा शेष दस तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं |
*तत्वों का आवर्त मे विद्युत धनात्मक गुण परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ घटता है |
*हाइड्रोजन के अनुसार तत्वों की संयोजकता पहले वर्ग 1 से 4 तक बढ़ती है और उसके उपरांत 4 से 1 तक घटती है |
*किसी आवर्त मे बायें से दायें बढ़ने पर तत्वों की तत्वों के आक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती है |
*किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर बढ़ने पर धात्विकता बढ़ती जाती है |
*परमाणु क्रमांक 18 का तत्व वर्ग शून्य मे होगा |
*आर्गन का उपयोग मिश्र धातुओं की आर्कवेल्डिंग में निष्क्रिय वातावारण तैयार करने तथा विजली के बल्ब मे भरने मे किया जाता है
*हीलियम हल्की तथा ज्वलनशील गैस है | इसका उपयोग गुब्बारों को भरने में तथा मौसम सम्बंधित अध्ययन मे किया जाता है |
*सीमेंट प्रमुख रूप से कैल्शियम सिलिकेटों और एल्युमिनियम सिलिकेटों का मिश्रण है | जल के साथ मिश्रित करने पर सीमेंट का जमना उसमे उपस्थित कैल्शियम सिलिकेटों एवं ऐल्युमिनियम सिलिकेटों के जल योजन के कारण होता है |
*साधारण कांच; सिलिका, सोडियम सिलिकेट और कैल्शियम सिलिकेट का ठोस विलयन (मिश्रण)होता है |
*कांच अक्रिस्टलीय ठोस के रूप मे एक अति शीतित द्रव है | इस लिए कांच की क्रिस्टलीय संरचना नहीं होती और नहीं इसका कोई निश्चित गलनांक होता है |
*कांच का कोई निश्चित रासायनिक सूत्र नहीं होता है; क्योंकि कांच मिश्रण है, यौगिक नहीं |
*रेशेदार कांच का प्रयोग बुलेट-प्रूफ जैकेट बनाने में किया जाता है |
*फोटोक्रोमैटिक कांच सिल्वर ब्रोमाइट की उपस्थिति के कारण धूप मे काला हो जाता है |
*डायनामाइट, ट्राइ नाइट्रो टाल्वीन (TNT), ट्राइ नाइट्रो फिनाल (TNP), ट्राइ नाइट्रो ग्लीसरीन (TNH),  R.D.X. एवं गन पाउडर कुछ प्रमुख विस्फोटक हैं |
*अमोनिया सल्फेट का प्रयोग चूना रहित भूमि में नहीं किया जाता है |
*यूरिया पहला कार्बनिक पदार्थ है जिसे प्रयोगशाला में बनाया गया |
*यूरिया तथा अमोनिया सल्फेट नाइट्रोजन ऊर्वरक के उदाहरण हैं |
*यूरिया में नाइट्रोजन 46% तथा अमोनिया सल्फेट में अमोनिया की मात्रा लगभग 25% होती है | अमोनिया सल्फेट मे नाइट्रोजन अमोनिया के रूप में होता है |
*यदि किसी द्रव मे घुलनशील पदार्थ मिलाया जाये तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है |
*यदि क्लोरोफार्म को सूर्य के प्रकाश मे; वायु मण्डल मे खुला छोड़ दिया जाये तो वह विषैली गैस फास्जीन में बदल जाती है |
*नाइट्रस आक्साइड को हंसाने वाली गैस कहते हैं | इसकी खोज प्रीस्टले ने की |
*क्लोरीन गैस फूलों का रंग उड़ा देती है |
*बर्तनों को कलई करने में अमोनियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है |
*सिरके मे एसिटिक अम्ल होता है |
*ऐसिटिलीन का प्रयोग प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है |
*रक्त का प्रवाह रोकने के लिए फेरिक क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है |
*सौर सेलों मे सीजियम प्रयुक्त होता है |
*खाना बनाते समय सर्वाधिक मात्रा में विटामिन नष्ट होती है |
*यदि दूध से क्रीम अलग कर दिया जाये तो दूध का घनत्व बढ़ जाता है |
*अस्पतालों में कृत्रिम सांस के लिए प्रयुक्त सिलिण्डरों में आक्सीजन तथा हीलियम का मिश्रण होता है |
*सफेद स्वर्ण प्लेटिनम को कहते हैं |
*सोना का घनत्व पारा के घनत्व से ज्यादा होता है, इसलिए सोना पारा मे डूब जाता है |
*एक किलोग्राम शहद मे 3500 कैलोरी ऊर्जा होती है |
*परमाणु के नाभिक मे प्रोटान एवं न्यूट्रान होते हैं |
*एक ही तत्व के दो परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती समस्थानिक (आइसोटोप) कहलाते हैं |
*एक ही तत्व के दो परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है समभारिक (आइसोबार) कहलाते हैं |
*एक मोल का मान 6.023X1023 होता है |
*शुष्क बर्फ ठोस कार्बन डाई आक्साईड को कहते हैं |
*गोबर गैस तथा बायो गैस का मुख्य घटक मिथेन (CH4) होता है |
*सभी गैसें -273 अंश C पर शून्य आयतन घेरती हैं |
*लाफिंग गैस नाइट्रस आक्साइड (N2O) को कहते हैं |
*सामान्य ताप एवं दाब (NTP) पर किसी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है |
*वेल्डिंग मे आक्सीजन के साथ ऐसीटिलीन गैस प्रयुक्त होती है |
*सिगरेट लाइटर से ब्यूटेन गैस निकलती है |
*चूने के पानी को कार्बन डाइआक्साइड (CO2) सफेद बनाती है |
*ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए कार्बन डाई आक्साइड तथा क्लोरो फ्लोरो कार्बन उत्तरदायी होती है |
*अश्रु गैस का रासायनिक नाम क्लोरो- एसिटोफिनोन है |
*स्टील या लोहे पर जिंक का लेप चढाने को गैल्वेनाइजेशन कहते हैं |
*दूध इमल्सन (पायस) का उदाहरण है |
*जल मे सबसे कम घुलनशील गैस नाइट्रोजन (N2) है |
*अमोनिया गैस (NH3) जल में अत्यधिक घुलनशील होती है | यह हवा से हल्की होती है |
*समुंद्री जल मे सर्वाधिक मात्रा मे सोडियम क्लोराइड (NaCl) पाया जाता है |
*सीसा संचालक बैट्री में सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) का प्रयोग किया जाता है |
*नींबू के रस का PH मान 2.2 तथा दूध का PH मान 6.4 होता है |
*माचिस उद्योग में प्रयोग किया जाने वाला रसायन पोटैशियम क्लोरेट (KClO3) है |
*पीतल; तांबे तथा जस्ते का मिश्र धातु है |
*फ्यूज का तार तथा सोल्डर सीसा और टिन का बना होता है |
*सर्वाधिक आघात वर्ध्य धातु सोना है |
*कांसा; कांपर और टिन का मिश्रण होता है |
*मानव द्वारा निर्मित प्रथम संश्लेशित रेशा नायलान है |
*सबसे कठोर पदार्थ हीरा, एवं सबसे कठोर धातु प्लेटिनम है |
*टंगस्टन का गलनांक बिंदु 3000 अंश C तथा हीरा का गलनांक बिंदु 3500 अंश C होता है |
*वायुयान के टायरों तथा गुब्बारों मे हीलियम गैस भरी जाती है |
*पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा होती है |
*हाइड्रोकार्बन के प्राकृतिक स्रोत कच्चा तेल हैं |
*कार्बन का शुद्धतम् रूप हीरा है |
*स्टेनलेस स्टील लोहा, निकिल, तथा क्रोमियम का मिश्र धातु है |
*सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व फ्लोरीन है |
*द्रव स्वर्ण पेट्रोलियम को कहते हैं |
*डायनामाइट बनाने में नाइट्रोग्लीसरीन का प्रयोग होता है |
*शुद्ध सेल्युलोज कागज से बनता है |
*आग बुझाने के लिए कार्बन डाई आक्साइड का प्रयोग किया जाता है |
*रोल्ड गोल्ड कांपर तथा एल्युमिनियम का मिश्रण है |
*गन पाउडर; सल्फर, चारकोल तथा शोरा का मिश्रण होता है |
*रेफ्रीजेरेटर मे अमोनिया गैस प्रयोग किया जाता है |
*रासायनिक यौगिक का सबसे छोटा कण परमाणु होता है |
*सबसे छोटा कण जिसमे तत्व का सभी गुण विद्यमान होता है उसे अणु कहते हैं |
*हड्डियों मे कैल्शियम एवं दांतों में फास्फोरस पाया जाता है |
*नाइक्रोम; क्रोमियम, निकिल तथा लोहा का मिश्र धातु है |
*तम्बाकू में विषैला पदार्थ निकोटिन होता है |
*लोहा को स्पात मे बदलने के लिए उसमे निकिल मिलाया जाता है  |
*फलों के रसों को सुरक्षित रखने के लिए फार्मिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है |
*खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए बेंजोइक अम्ल का उपयोग किया जाता है |
*इलेक्ट्रान का आविष्कार जे.जे.थामसन ने किया |
*प्रोटान का आविष्कार गोल्ड स्टीन ने किया | 
*न्यूट्रान का आविष्कार जेम्स चौडविक ने किया |
*नाभिक की खोज रदर फोर्ड ने की |
*जल का क्वथनांक 100 अंश C या 212 अंश F या 373 K होता है |
*लोहा का निष्कर्षण हेमेटाइट (अयस्क) से किया जाता है |
*लाल मिट्टी में फार्मिक अम्ल होता है |
*खट्टे फलों मे साइट्रिक अम्ल पाया जाता है |
*दूध मे लैटिक अम्ल पाया जाता है |
*फलों के रसों मे एसीटिक अम्ल पाया जाता है |
*इमली मे टारटेरिक अम्ल पाया जाता है |
*ओजोन गैस चांदी की चमक को काला कर देती है |
*सोने के आभूषण बनाते समय उसमें तांबा मिलाया जाता है |
*प्रोड्यूसर गैस या वायु अंगार गैस नाइट्रोजन एवं कार्बन मोनो आक्साइड गैस का मिश्रण होती है |
*इलेक्ट्रान त्यागने की क्रिया को आक्सीकरण तथा ग्रहण करने की क्रिया को अवकरण कहते हैं |
*लैंपो व ट्यूबों में नियान गैस भरी जाती है |
*विद्युत का सबसे अच्छा चालक चांदी है |
*शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है |
*कृत्रिम वर्षा के लिए सिल्वर आयोडाइड का प्रयोग किया जाता है |
*अम्ल वर्षा के लिए उत्तरदायी गैसें सल्फर डाई आक्साइड (SO2)  एवं नाइट्रोजन ऑअसाइड (NO2) हैं |
*लोहे मे जंग लगने के लिए आक्सीजन एवं नमी उत्तरदायी है |
*रबर को कठोर बनाने के लिए उसमें कार्बन या सल्फर मिलाते हैं |
*फास्फोरस हवा मे जल उठता है, इसी कारण इसे जल मे डूबाकर रखा जाता है |
*सोडियम को मिट्टी के तेल में रखा जाता है |
*कृत्रिम सुगंध बनाने के लिए एथिल एसिटेट का प्रयोग किया जाता है |
*बर्तनों मे कलई करने के लिए अमोनियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है |
*आदर्श गैस का समीकरण PV=nRT होता है | 
*कपूर को उर्ध्वपातन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है |
*चश्मे का लेंस कुक्स कांच का बना होता है |
*सबसे हल्का तत्व हाइड्रोजन है |
*हवा का वाष्प घनत्व 14.4 होता है |
*फिटकरी एवं शोरा में नाइट्रिक अम्ल पाया जाता है |
*सोडा वाटर एवं अन्य पेय में कार्बोलिक अम्ल पाया जाता है |
*यूरिया का रासायनिक नाम कार्बामाइड (CO(NH2)2 है |
*सड़ी मछली जैसी गंध ओजोन गैस से आती है |
*प्रकृति मे सर्वदा मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली धातु सोना है |
*पालीथीन एथिलीन के बहुलीकरण से प्राप्त होती है |
*गोताखोर सांस लेने के लिए आक्सीजन एवं हीलियम गैसों के मिश्रण का प्रयोग करते हैं |

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सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्य...

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