************************* संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही इसलिए चुना गया, क्योंकि साल 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। बता दें कि दुनिया में भारत का ही संविधान है, जो हाथ से बने कागज पर हाथ से लिखा हुआ है। संविधान के हर पन्ने पर सोने की पत्तियों वाली फ्रेम बनी है। साथ ही हर अध्याय के आरंभिक पृष्ठ पर एक कलाकृति भी बनाई गई है। संविधान की मूल प्रति को पहले फलालेन के कपड़े में लपेटकर नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था। साल 1994 में संसद भवन के पुस्तकालय में इसे वैज्ञानिक विधि से तैयार चेम्बर में सुरक्षित कर दिया गया। इससे पहले यह देखा गया कि दुनिया के अन्य देशों में संविधानों को किस तरह सुरक्षित रखा गया है। इस जांच में यह पता चला कि अमेरिकी संविधान सबसे सुरक्षित वातावरण में है। वॉशिंगटन स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में हीलियम गैस के चेम्बर में अमेरिका के एक पेज के संविधान को रखा गया है। इसके बाद अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट, भारत की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और भारतीय संसद के बीच करार के बाद भारत में भी गैस चेंबर बनाने की पहल हुई।
भारतीय संविधान आकार में बड़ा और भारी है, इसलिए चेम्बर बड़ा हो गया। इसमें हीलियम गैस रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम हो गईं, तो नाइट्रोजन गैस का चेम्बर बनाया गया। कागज की सुरक्षा के लिए ऐसी गैस की आवश्यकता थी, जो इनर्ट यानी नॉन-रिएक्टिव (गैस के साथ प्रतिक्रिया न करे) हो। नाइट्रोजन भी एक ऐसी ही गैस है। भारतीय संविधान काली स्याही से लिखा है, लिहाजा ये आसानी से उड़ (ऑक्सीडाइज) सकती थी। इसे बचाने के लिए ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आस-पास रखने की जरूरत थी। इसलिए संविधान के लिए एयरटाइट चेंबर बनाया। ह्युमिडिटी बनाए रखने के लिए चेंबर में गैस मॉनिटर लगाए गए हैं। हर साल चेंबर की नाइट्रोजन गैस खाली की जाती है और संविधान की सेहत जांची जाती है। हर दो महीने में इस चेम्बर की चेकिंग भी की जाती है। सीसीटीवी कैमरे से इस पर लगातार निगरानी रहती हैें
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